Bharat Express

इसरो की Space Technology से मछली पालन का क्या है कनेक्शन? पढ़ें केंद्रीय मंत्री ने क्यों किया इसका जिक्र

सरकार इस क्षेत्र में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 60 हजार करोड़ रुपए का वार्षिक बजट आवंटित कर रही है.”

Lalan Singh

केंद्रीय मंत्री ललन सिंह.

केंद्रीय पंचायती राज एवं मत्स्य पालन मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने मंगलवार को विभागीय मीटिंग के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए इसरो और सैटेलाइट तकनीक की भूमिका को मछली पालन क्षेत्र में महत्वपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि स्पेस टेक्नोलॉजी से प्राप्त सहयोग मछली उत्पादन को लाभकारी बना रहा है, विशेषकर समुद्री मछुआरों के लिए जो अक्सर खतरनाक परिस्थितियों में काम करते हैं.

“सटीक सूचनाएं खतरों से बचाती हैं”

मंत्री ललन सिंह ने बताया कि इसरो द्वारा विकसित की गई तकनीक, सेटेलाइट के माध्यम से समय पर सूचनाएं उपलब्ध कराती हैं, जिससे मछुआरे संभावित खतरों के बारे में 72 घंटे पहले जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. यह तकनीक उन मछुआरों के लिए अत्यंत लाभकारी है, जो गहरे समुद्र में सुदूर क्षेत्रों में जाकर मछली पकड़ते हैं. यह स्पेस टेक्नोलॉजी न केवल उनकी सुरक्षा में मदद करती है, बल्कि उनके कार्य को भी अधिक सुरक्षित और प्रभावशाली बनाती है.

60 हजार करोड़ का वार्षिक बजट

उन्होंने आगे कहा, ”आज राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मत्स्य उत्पादन से जुड़े क्षेत्र पर चर्चा हम लोगों ने की है. सरकार इस क्षेत्र में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 60 हजार करोड़ रुपए का वार्षिक बजट आवंटित कर रही है.”

यह भी पढ़ें- बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, अवमानना से जुड़े सभी मामलों को बंद करने का आदेश

उन्होंने बताया कि इस बजट का उपयोग मत्स्य निर्यात को बढ़ाने के लिए किया जाएगा और इसके विस्तार पर गंभीरता से काम किया जा रहा है. उन्होंने इस क्षेत्र में निर्यात की क्षमता को बढ़ाने के लिए योजनाओं पर भी चर्चा की और इसे विकसित करने के प्रयासों की पुष्टि की.

-भारत एक्सप्रेस



इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.

Also Read