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आखिर क्यूं फटते हैं बादल? जानें क्या है इससे होने वाले नुकसान से बचने का उपाय? 

जलवायु परिवर्तन का असर और भौगोलिक स्थितियों के कारण इस तरह की घटनाएं देखने को मिल रही हैं.

Cloud Burst

सांकेतिक फोटो-सोशल मीडिया

Cloud Burst: बारिश के मौसम में पहाड़ी इलाकों में बादल फटने की घटनाएं दिन पर दिन बढ़ती जा रही है. इन घटनाओं के कारण लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. कई जिंदगियां भी इसमें खत्म हो जा रही हैं. हाल ही में पहाड़ी इलाकों में तमाम इस तरह की घटनाएं सामने आई हैं. एक्सपर्ट की मानें तो बादलों को राह में गर्म हवा और पर्वत पसंद नहीं है. रास्ते में कोई बाधा आती है तो ये फट जाते हैं. हिमाचल में हर साल मानसून के समय आर्द्रता के साथ बादल उत्तर की ओर बढ़ते हैं. यही वजह है कि हिमालय पर्वत बड़े अवरोधक के रूप में सामने पड़ता है. जब कोई गर्म हवा का झोंका ऐसे बादल से टकराता है, तब उसके फटने की आशंका बढ़ जाती है.

मालूम हो कि हिमाचल में कुल्लू, शिमला, मंडी व किन्नौर व कांगड़ा जिला में ऐसी घटनाएं सबसे अधिक हो रही है. एक्सपर्ट कहते हैं कि बादल फटना वर्षा की एक्सट्रीम फार्म है. इसे मेघ विस्फोट या मूसलाधार वर्षा भी कहते हैं. इसको लेकर मौसम वैज्ञानिक कहते हैं कि जब बादल भारी मात्रा में पानी लेकर चलते हैं और उनकी राह में कोई बाधा आ जाती है तब वे अचानक फट पड़ते हैं. यानी संघनन बहुत तेजी से होने के कारण एक सीमित क्षेत्र में कई लाख लीटर पानी एक साथ पृथ्वी पर गिरता है. इस दौरान बारिश करीब 100 मिलीमीटर प्रति घंटा की दर से होती है. इसके कारण उस क्षेत्र में तेज बहाव वाली बाढ़ आ जाती है.

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अधिक खतरनाक होते हैं गरजने वाले बादल

एक्सपर्ट बताते हैं कि निचाई वाले यानी गर्जने वाले वाले काले व रूई जैसे बादल ही फटते हैं. हर वर्ष बरसात में हिमालयी क्षेत्र में मूसलधार वर्षा से तबाही मचाने वाले बादल लगभग तीन हजार किलोमीटर का सफर तय कर बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से पहुंचते हैं. मौसम विभाग के निदेशक सुरेंद्र पाल का एक बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा कि पहाड़ पर बादल इसलिए ज्यादा फटते हैं क्योंकि बादलों को रास्ता नहीं मिलता और टकरा जाते हैं. अर्ली अलार्म सिस्टम की आवश्यकता है. हर वर्ष लाखों रुपये का नुकसान इस वजह से हो जाता है.

जलवायु परिवर्तन है इसका मुख्य कारण

जलवायु परिवर्तन केंद्र राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के प्रधान विज्ञानी एसएस रंधावा कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन का असर और भौगोलिक स्थितियों के कारण इस तरह की घटनाएं देखने को मिल रही हैं. जब बादलों को रास्ता नहीं मिलता या कई बादल आपस में टकरा जाते हैं तब भी ऐसी घटना होती है.

-भारत एक्सप्रेस

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