(फोटो: सोशल मीडिया)
बहू द्वारा सास-ससुर की देखभाल न करना क्रूरता के दायरे में नहीं आता है. अपने एक फैसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बात कही है. अदालत ने इसी आधार पर पति को पत्नी से तलाक लेने पर इनकार कर दिया.
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि जब पति ही अपने माता पिता से अलग रहता हो और पत्नी से उनकी सेवा और उचित देखभाल की उम्मीद पाले हो तो यह मामला कमजोर हो जाता है. हाईकोर्ट ने इसी आधार पर तलाक से संबंधित पति की याचिका खारिज कर दी और मुरादाबाद फैमिली कोर्ट के फैसले को भी बरकरार रखा. हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जस्टिस डोनाडी रमेश की पीठ ने की.
क्या है मामला
पूर्व पुलिस अधिकारी ज्योतिष चंद्र थपलियाल का विवाह देवेश्वरी थपलियाल से हुई थी. नौकरी के कारण वे माता-पिता से अलग रहते थे. वह चाहते थे कि उनकी पत्नी उनके साथ न रहकर उनके माता-पिता के साथ रहे हालांकि उनकी पत्नी उनके साथ रहना चाहती थीं.
इसके बाद ज्योतिष चंद्र थपलियाल ने मुरादाबाद की फैमिली कोर्ट में तलाक की याचिका दाखिल की. इसमें आरोप लगाया कि पत्नी उनके माता-पिता की देखभाल नहीं करती, इसे क्रूरता मानी जानी चाहिए. लंबी सुनवाई के बाद साल 2008 में उनकी याचिका फैमिली कोर्ट ने खारिज कर दी थी.
फैमिली कोर्ट के फैसले को चुनौती
फैमिली कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता खुद आपने माता-पिता के साथ नहीं रहता. ऐसे में पत्नी द्वारा उनके साथ रहने से इनकार और उनकी उचित देखभाल न करना क्रूरता नहीं कहलाएगा. यह तलाक का आधार नहीं. इस फैसले को ज्योतिष चंद्र ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
-भारत एक्सप्रेस
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