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Odisha: 156 साल पुराने रेवेनशॉ विश्वविद्यालय का नाम बदलने के सुझाव पर सियासत तेज

कटक स्थित रेवेनशॉ विश्वविद्यालय केवल एक शैक्षणिक संस्थान न होकर राज्य के अतीत में गहरी जड़ों वाला एक ऐतिहासिक स्थल भी है.

Union Education Minister Dharmendra Pradhan

फोटो-सोशल मीडिया

ओडिशा के कटक शहर में स्थित 156 साल पुराने ऐतिहासिक रेवेनशॉ विश्वविद्यालय का नाम बदलने का सुझाव केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की ओर से दिए जाने के बाद से इसको लेकर लगातार विवाद हो रहा है. इसको लेकर प्रदेश में लगातार सियासत जारी है. बीजू जनता दल (BJD) और कांग्रेस ने केंद्रीय मंत्री के इस सुझाव की निन्दा करने के साथ ही माफी मांगने की बात कही है.

बता दें कि रविवार को केंद्रीय मंत्री प्रधान ने कटक में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया था और इसी दौरान कार्यक्रम में बोलते हुए कहा था कि इस विश्वविद्यालय का नाम बदलने का सुझाव रखा था. उन्होंने कहा था कि “रेवेनशॉ विश्वविद्यालय का नाम बदलने की जरूरत है. रेवेनशॉ, जिनके नाम पर विश्वविद्यालय का नाम रखा गया है, ने अकाल के दौरान क्या किया था. राज्य के बुद्धिजीवियों को सोचना चाहिए कि क्या राज्य के इतिहास के ऐसे काले दौर से जुड़े व्यक्ति को सम्मानित करना उचित है. यह मेरी निजी राय है.”

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तो दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री प्रधान के सुझाव पर नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली BJD और कांग्रेस ने कड़ा विरोध दर्ज कराया है और कहा है कि मंत्री को इस बयान पर माफी मांगनी चाहिए. BJD प्रवक्ता लेनिन मोहंती ने कहा है कि “प्रधान द्वारा ओडिशा ‘अस्मिता’ (गर्व) की आड़ में दिया बयान दुर्भाग्यपूर्ण है. ऐसा करने से पहले उन्हें इतिहास पढ़ लेना चाहिए था.” बता दें कि साल 2006 में सरकार ने इसे पूर्ण विश्वविद्यालय का दर्जा दिया था. वर्तमान में यह 9 स्कूलों और 33 विभागों में लगभग 8,000 छात्रों को शिक्षा प्रदान करता है.

जानें कब हुई स्थापना

बता दें कि इसकी स्थापना देश की आजादी से पहले 1868 में हुई थी. इस विश्वविद्यालय का नाम तत्कालीन अंग्रेज नौकरशाह थॉमस एडवर्ड रेवेनशॉ के नाम पर रखा गया था. वह उस समय राज्य के आयुक्त थे. इसको लेकर ऐसा भी कहा जाता है कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना में रेवेनशॉ का अहम योगदान रहा. उन्होंने ही अंग्रेज अधिकारियों को इसकी स्थापना के लिए तैयार किया था.

-भारत एक्सप्रेस



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