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Al-Biruni : सुल्तान महमूद गजनवी ने अल-बेरूनी को बनाया था कैदी, जब भारत आए तो लिख डाली ‘किताब-उल-हिन्द’

अल-बेरूनी एक फारसी विद्वान् लेखक, वैज्ञानिक, धर्मज्ञ और विचारक थे. उन्होंने 146 किताबें लिखीं, जिनमें खगोल शास्त्र पर 35, ज्योतिष शास्त्र पर 23, गणित पर 15 और साहित्यिक विषय पर करीब 16 किताबें शामिल हैं.

Al-Biruni a Iranian scholar and polymath

अल-बरूनी, इस्लाम के स्वर्ण युग की 'सार्वभौमिक प्रतिभा' माने गए.

Al-Biruni Book on India: भारत विश्‍व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है, जिसकी धरती पर सैकड़ों सालों के दौरान न जाने कितने लोग आए और गए. कोई यहां की खूबसूरती और संस्कृति का कायल हुआ तो किसी ने भारत की विरासत को मिटाने की कोशिश की. लेकिन, इसके बावजूद भारत आज भी अपनी पुरानी परंपरा और रीति रिवाज को बरकरार रखे हुए हैं.

यहां, जाति-धर्म, ऊंच-नीच, अमीरी-गरीबी से परे एक ऐसी चीज है, जो सबको एक साथ जोड़ती है, वो है हमारी संस्कृति. आज हम जिस शख्स की बात कर रहे हैं उन्होंने अपनी लेखनी से इन तमाम पहलुओं से रूबरू कराया. अल-बेरूनी को भारतीय इतिहास का पहला जानकार भी कहा जाता था.

Abu Rayhan Muhammad ibn Ahmad al-Biruni, known as al-Biruni
Abu Rayhan Muhammad ibn Ahmad al-Biruni, known as al-Biruni

भारतीय इतिहास के जानकार थे अल-बेरूनी

15 सितंबर 973 ई. को जन्मे बेरूनी एक फारसी विद्वान् लेखक, वैज्ञानिक, धर्मज्ञ और विचारक थे. अल-बेरूनी ने 146 किताबें लिखीं, जिनमें खगोल शास्त्र पर 35, ज्योतिष शास्त्र पर 23, गणित पर 15 और साहित्यिक विषय पर करीब 16 किताबें शामिल हैं.

महमूद गजनवी द्वारा बंदी बनाए गए थे बेरूनी

बताया जाता है कि जिस जगह से अल-बेरूनी आते थे, उस शहर को 1017 ई. में महमूद गजनवी ने जीत लिया था. जब सभी लोगों को कैदी बनाया गया तो अल-बेरूनी भी उनमें से एक थे. हालांकि, सुल्तान महमूद गजनवी उनसे बहुत प्रभावित हुआ और बाद में उन्हें भी अपने साथ ले लिया.

अल-बेरूनी, महमूद गजनवी की सेना के साथ भारत भी आए और कई सालों तक पंजाब में रहे.
अल-बेरूनी, महमूद गजनवी की सेना के साथ भारत भी आए और कई सालों तक पंजाब में रहे.

यहां रहकर ही हमारी संस्कृति को बारीकी से जाना

भारत में रहकर अल-बेरूनी ने यहां की संस्कृति को बारीकी से जाना और हिंदू दर्शन और दूसरे विषयों पर अध्ययन भी किया. इसी के आधार पर उन्होंने ‘तहकीक-ए-हिन्द’ (किताब-उल-हिन्द) नामक पुस्तक लिखी, जो साल 1030 में लिखी गई थी. इसी किताब में उन्होंने भारत में हिंदुओं से जुड़े इतिहास, चरित्र, परंपरा और अन्य पहलुओं को बयां किया.

अल-बेरूनी को भाषाओं का अच्छा ज्ञान था. उनका असली नाम ‘अबू रेहान मुहम्मद’ था, लेकिन उन्हें पहचान मिली अल-बेरूनी नाम से.

अरबी, फारसी, तुर्की, संस्कृत, गणित विषयों में थी रुचि

अल-बेरूनी के बारे में बताया जाता है कि वह अरबी, फारसी, तुर्की, संस्कृत, गणित, खगोल के जानकार थे. उन्होंने ही धरती की रेडियस नापने का एक आसान फॉर्मूला बनाया था. उन्होंने यह भी साबित किया कि प्रकाश की गति, ध्वनि की गति से अधिक होती है. उनकी मौत 13 दिसंबर 1048 को अफगानिस्तान के गजनी शहर में हुई थी.

– भारत एक्‍सप्रेस



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