बिहार के पूर्व विज्ञान एवं प्राद्यौगिकी मंत्री बृज बिहारी प्रसाद हत्याकांड मामले में दोषी मुन्ना शुक्ला को सुप्रीम कोर्ट से राहत नही मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने मुन्ना शुक्ला की ओर से दायर उस अर्जी को खारिज कर दिया है, जिसमें सरेंडर करने के लिए समय अवधि बढ़ाने की मांग की गई थी. जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आर माधवन की पीठ ने अर्जी को खारिज करते हुए कहा कि अदालत द्वारा तय समय अवधि के भीतर ही सरेंडर करना पड़ेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी को मिली आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा था. साथ ही दोनों को 15 दिन के भीतर सरेंडर करने को कहा था. वही कोर्ट ने पूर्व सांसद सूरज भान सिंह, राजन तिवारी सहित 6 लोगों को बरी कर दिया था. पटना हाई कोर्ट ने इस मामले में पूर्व सांसद सूरजभान सिंह, पूर्व विधायक विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला, राजन तिवारी सहित कुल 8 आरोपियों को सबूत के आभाव में बरी कर दिया था.
वरिष्ठ वकील सोनिया माथुर की दलील
मामले की सुनवाई के दौरान रमा देवी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने दलील देते हुए कहा था कि पटना हाई कोर्ट ने मामले में आरोपियों को बरी करने में गलती की है. राज्य सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौपी थी. वही केंद्रीय जांच एजेंसी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सोनिया माथुर की दलील थी कि आरोपियों के बीच साजिश को उजागर करने के लिए पटना जिले के मोकामा शहर में सूरजभान सिंह के आवास पर लगे टेलीफोन से मामले के अन्य आरोपियों से बातचीत हुई थी.
दलितों और पिछड़ों की राजनीति से बने दुश्मन
पूर्व मंत्री की हत्या वर्ष 1998 में उस समय कर दी गई थी जब वे आइजीआइएमएस में ईलाज के लिए भर्ती थे. निचली अदालत ने वर्ष 2009 में सभी आठ आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. बता दें कि 90 के दशक में बृज बिहारी प्रसाद की एंट्री कॉलेज के दौर में हुई. राजनीतिक दिलचस्पी के चलते वो आगे चलकर मंत्री बने थे. हालांकि शुरुआती दिनों में दलितों और पिछड़ों के राजनीति के चलते बृज बिहारी प्रसाद के कई दुश्मन बन गए थे. जिनमें छोटन शुक्ला का नाम शामिल था.
एके-47 से मारी गई गोली
1994 में छोटन शुक्ला की हत्या कर दी गई, जिसका आरोप बृज बिहारी प्रसाद पर लगा था. 1998 में बृज बिहारी प्रसाद राबड़ी सरकार में मंत्री थे. लेकिन वो एडमिशन घोटाला मामले में गिरफ्तार हो गए. गिरफ्तारी के बाद उन्होंने सीने में दर्द की शिकायत की जिसके बाद उनको इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में भर्ती किया गया. जब वो सुरक्षा के बीच टहल रहे थे उसी दौरान एक लाल बत्ती कार आई जिसमे चार लोग सवार थे और बृज बिहारी को एके-47 से छलनी कर फरार हो गए.
-भारत एक्सप्रेस
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