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ऐप्स द्वारा वाहन मालिकों की निजी जानकारी शेयर करने संबंधी चिंताओं का समाधान किया जाएगा: केंद्र सरकार

केन्द्र ने कहा याचिका में उठाई गई चिंताओं का समाधान किया जाएगा. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने वकील के कोर्ट को सूचित किया कि वह याचिका में लगाए गए आरोपों को बहुत गंभीरता से ले रहा है और मामले की सक्रिय रूप से जांच कर रहा है.

(प्रतीकात्मक फोटो)

केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को आश्वासन दिया है कि वह वाहन मालिकों की व्यक्तिगत जानकारी साझा करने वाले Apps के बारे में जनहित याचिका की गहन समीक्षा करेगी. केन्द्र ने कहा याचिका में उठाई गई चिंताओं का समाधान किया जाएगा. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MORTH) ने वकील के माध्यम से मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राय गेडेला की अध्यक्षता वाली पीठ को सूचित किया कि वह याचिका में लगाए गए आरोपों को बहुत गंभीरता से ले रहा है और मामले की सक्रिय रूप से जांच कर रहा है.

पीठ ने दलील को स्वीकार किया और निर्देश दिया कि आठ सप्ताह के भीतर हलफनामा दायर किया जाए. पीठ ने मामले की सुनवाई 19 फरवरी, 2025 तय की है. न्यायालय के निर्देश एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान आए, जिसमें सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय से अनुरोध किया गया था कि वह राष्ट्रीय रजिस्टर- ड्राइविंग लाइसेंस (DL) और पंजीकरण प्रमाणपत्र (RC) के केंद्रीकृत Database से जानकारी तक पहुँच प्रदान करने के लिए आक्षेपित नीति को अलग रखे.

याचिकाकर्ता अधिवक्ता गोपाल बंसल ने विधि और न्याय मंत्रालय को इस राष्ट्रीय रजिस्टर की सुरक्षा के लिए उचित कानून बनाने के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को रजिस्टर में निहित डेटा का उल्लंघन करने वाले मोबाइल एप्लिकेशन के संचालन को रोकने के लिए निर्देश देने की भी मांग की.
याचिकाकर्ता ने इस बात पर प्रकाश डाला कि गूगल प्ले स्टोर (Playstore) पर उपलब्ध कई मोबाइल एप्लिकेशन (application) उपयोगकर्ताओं को किसी भी वाहन के बारे में संवेदनशील जानकारी तक पहुँचने में सक्षम बनाते हैं, बस उसका पंजीकरण नंबर दर्ज करके.

गोपाल बंसल ने तर्क दिया कि ऐसी जानकारी को सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 8(1)(A), (E), और (G) के तहत प्रकटीकरण से छूट दी जानी चाहिए. इसके अतिरिक्त, उन्होंने दावा किया कि यह जानकारी पहले अब समाप्त हो चुकी बल्क डेटा शेयरिंग नीति और प्रक्रिया (BDS नीति) के तहत तीसरे पक्ष की संस्थाओं को बेची गई थी. नई नीति की शुरुआत के बावजूद, उन्होंने तर्क दिया कि डेटा अभी भी बेचा जा रहा है.

– भारत एक्सप्रेस

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