प्रतीकात्मक चित्र
Chhath Puja 2024: उत्तर भारत में आस्था का महापर्व छठ पूजा को लेकर खास तैयारी देखने को मिल रही है. बिहार की राजधानी पटना और उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी काशी में भी इस पर्व को लेकर काफी रौनक देखने को मिल रही है. छठ का त्यौहार अब केवल बिहार, झारखंड या पूर्वी उत्तरप्रदेश तक सीमित नहीं है बल्कि यह देश भर में बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है.
बिहार के लोगों के लिए खास महत्व रखने वाले यह पर्व चार दिनों तक मनाया जाता है. छठ पर्व के पहले दिन को नहाए-खाए कहा जाता है इसके बाद खरना फिर तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और आखिरी दिन उषा अर्घ्य (सुबह का अर्घ्य) कहा जाता है.
पहला दिन: नहाए-खाए
‘नहाए-खाए’ के साथ मंगलवार (5 नवम्बर) को छठ पूजा की शुरुआत हो गई है. इस दिन श्रद्धालु अपने घरों की सफाई करने के बाद घाटों पर जाते हैं, वहां पर स्नान करके गंगा मां की पूजा करते हैं. इस दिन गंगा स्नान करके घर पर प्रसाद बनाते हैं. प्रसाद को खुद ग्रहण करते हैं और लोगों को बांटते हैं.
नहाए खाए को लेकर बिहार की राजधानी पटना के कई घाटों पर श्रद्धालुओं की काफी संख्या देखने को मिली. घाट पर स्नान करने आईं एक श्रद्धालु शिल्पी सोनी ने आईएएनएस को बताया कि वह दीदी के यहां छठ पूजा करने आई हैं. उन्होंने आगे कहा आज ‘नहाए-खाए’ के दिन गंगा स्नान करके प्रसाद बनता है. कद्दू का दाल और अरवा चावल बनता है. छठ को लेकर आज घाट पर बहुत भीड़ है, कल खरना होगा, परसो और ज्यादा भीड़ होगी, क्योंकि उस दिन पहला अर्घ्य होगा. छठ को लेकर बहुत तैयारी की गई है. प्रशासन द्वारा घाटों की साफ-सफाई की गई है, जो बहुत अच्छी बात है.
देखने को मिला VVIP कल्चर
इसके अलावा, वाराणसी के घाटों और पवित्र जलाशयों में वेदी बनाने का काम हो रहा है. वहीं, कई जगहों पर VVIP कल्चर देखने के लिए मिल रहा है, जहां पर लोग वेदी बनाते समय उसपर यूपी पुलिस, यूपी सरकार आदि चीजों को लिख रहे हैं.
छठ पूजा को लेकर वेदी बना रहे एक श्रद्धालु अश्विनी सिंह ने आईएएनएस को बताया कि वेदी बनाकर हम लोग चले जाएंगे. यहां पर नाम लिख देंगे, जिससे की पूजा वाले दिन कोई परेशानी नहीं हो. उन्होंने पूजा में VVIP कल्चर का विरोध करते हुए कहा कि लोग अपना साधारण नाम भी लिख सकते हैं.
एक अन्य श्रद्धालु अनुराग ने बताया कि अपना नाम लिखकर हम लोग अपना स्थान पक्का कर लेते हैं कि हमको यहां पर पूजा करना है. वेदी बनाते समय VVIP कल्चर पर उन्होंने कहा कि ये वाराणसी में ज्यादा देखने को मिलता है. छठ वाले दिन भीड़ होने की वजह से उनकी भी जगह घिर जाती है. उन्होंने आगे कहा कि वीवीआईपी कल्चर से यहां पर कुछ होता नहीं, बनारस में सभी लोग वीआईपी हैं.
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-भारत एक्सप्रेस
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