उत्पन्ना एकादशी पर क्या ना करें.
Utpanna Ekadashi 2024 Donts: मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है. पंचांग के अनुसार, इस साल उत्पन्ना एकादशी का व्रत 26 नवंबर (गुरुवार) को रखा जाएगा. कहा जाता है कि इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है. साथ ही भगवान विष्णु की कृपा से जीवन की नकारात्मकता दूर हो जाती है. उत्पन्ना एकादशी का व्रत मन को शांति देने वाला, घर-परिवार में खुशहाली लाने वाला और सुख-समृद्धि बढ़ाने वाला माना गया है. लेकिन, उत्पन्ना एकादशी के दिन कुछ गलतियों को करने से बचना चाहिए.
तुलसी से जुड़ी गलती
शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी के दिन तुलसी को जल अर्पित नहीं करना चाहिए. दरअसल, तुलसी में मां लक्ष्मी का वास माना गया है और एकादशी के दिन धन की देवी निर्जला उपवास रखती हैं.
चावल का सेवन है निषेध
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी के दिन भात (पका हुआ चावल) खाने से परहेज करना चाहिए. ऐसा करना एकादशी व्रत-नियम के खिलाफ माना गया है. चावल में जल तत्व की मात्रा अधिक होती है. ऐसे में एकादशी के दिन चावल का सेवन करने से मन अत्यधिक चंचल हो जाता है.
तामसिक चीजों से रहें दूर
उत्पन्ना एकादशी के दिन तामसिक भोजन जैसे- लहसुन-प्याज, नॉनवेज, शराब और नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए. उत्पन्ना एकादशी के दिन तामसिक पदार्थों का सेवन निषेध माना गया है.
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ना पहने काले वस्त्र
धार्मिक मान्यता के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी के दिन काले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए. सनातन धर्म में काले रंग को नकारात्मकता का प्रतीक माना गया है. इसलिए, एकादशी व्रत के दिन इस रंग का वस्त्र पहनना अशुभ है.
बाल, दाढ़ी और नाखून कटवाने से बचें
शास्त्रों के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी के दिन बाल, दाढ़ी और नाखून कटवाने से बचना चाहिए. इसके अलावा इस दिन व्रतियों को पलंग पर सोने से परहेज करना चाहिए. एकादशी का व्रत रखने वालों को जमीन या फर्श पर बिस्तर डालकर भी सोना अच्छा माना गया है. इससे व्रत की पवित्रता बनी रहती है.
किसी को अपशब्द ना कहें
उत्पन्ना एकादशी के दिन किसी को भी अपशब्द ना कहें. इसके अलावा इस दिन क्रोध करने से भी बचें. इतना ही नहीं, इस दिन घर पर आए किसी भी व्यक्ति का अपमान करने से बचें.
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