सांकेतिक तस्वीर.
अंतरिक्ष में कुछ ऐसे तारे और ग्रह दिखाई देते हैं, जो अपनी असामान्य गति से चलते हुए प्रतीत होते हैं. एक नई शोध में दावा किया गया है कि ये असाधारण गतिशील तारे और ग्रह वास्तव में किसी इंटेलिजेंट एलियन सभ्यता द्वारा नियंत्रित हो सकते हैं और उनके पायलट एलियंस हो सकते हैं. इस अध्ययन में यह भी कहा गया है कि ये एलियंस अपने ग्रहों और तारों को ही स्पेसक्राफ्ट में परिवर्तित कर चुके हैं, ताकि उन्हें नए अंतरिक्ष यान बनाने की आवश्यकता न पड़े.
आकाशगंगाओं के बीच यात्रा करने में सक्षम
इस शोध के अनुसार, इन एलियनों ने तय किया है कि वे जहां भी यात्रा करना चाहें, अपने ग्रहों को ही साथ ले चलें. हालांकि, ऐसे स्टार सिस्टम बहुत कम हैं. कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि ये सभ्यताएं अत्यधिक विकसित हैं और आकाशगंगाओं के बीच यात्रा करने में सक्षम हैं. इसके लिए, वे अपने बाइनरी स्टार सिस्टम्स को एक साथ ले जाते हैं, यानी उनके ग्रह और तारे दोनों एक साथ अंतरिक्ष में यात्रा करते हैं.
वैज्ञानिकों का मानना है कि ये सभ्यताएं, जो बहुत समय से अंतरिक्ष में हैं, ने काफी पहले समझ लिया होगा कि उन्हें गैलेक्सी के पार यात्रा करने के लिए अपने तारों और ग्रहों को एक साथ यात्रा कराने का तरीका ढूंढना चाहिए. ऐसा हो सकता है कि ये एलियंस किसी सुपरनोवा के विस्फोट से बचने के लिए या फिर प्राकृतिक संसाधनों की तलाश में निकल पड़े हों. हालांकि, अंतरिक्ष में यात्रा के दौरान एक बड़ी चुनौती उसकी विशाल दूरी है, जो काफी समय लेती है.
तारे और ग्रहों को साथ लेकर यात्रा करते हैं
इसके बजाय कि वे किसी अन्य तारा प्रणाली में जाने के बजाय अपने ग्रह प्रणाली को छोड़ दें, इन एलियन सभ्यताओं ने अपने सिस्टम को ही एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने का तरीका विकसित किया है. वे अपने तारे और ग्रहों को साथ लेकर यात्रा करते हैं.
अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने जब इस पर शोध किया, तो यह सामने आया कि कुछ तारे अत्यधिक तेज गति से चलते हैं, यानी हाइपरवेलोसिटी में. ऐसा लगता है कि इन्हें जानबूझकर एलियन सभ्यताएं धकेल रही हैं, और इसमें कोई भी आर्टिफिशियल सहायता नहीं है.
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यह अध्ययन बेल्जियम के ब्रसेल्स स्थित Vrije University के दार्शनिक क्लेमेंट विडाल द्वारा किया गया है. हालांकि यह शोध अभी तक पीयर-रिव्यू से नहीं गुजरा है, इसमें एक मॉडल सिस्टम की कल्पना की गई है, जिसमें एक हल्का न्यूट्रॉन स्टार अपने तारे के चारों ओर चक्कर लगा रहा है. इस मॉडल से यह विचार उभर कर आया कि तारों की यात्रा संभव हो सकती है, और यह यात्रा चुंबकीय क्षेत्र का इस्तेमाल कर की जा सकती है.
-भारत एक्सप्रेस
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