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पाकिस्तान के पहले PM लियाकत अली की संपत्ति को लेकर यूपी के इस जिले में क्यों छिड़ा है विवाद?

शत्रु संपत्ति अधिकरण से कराई गई जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि 1918 में यह संपत्ति लियाकत अली खान के पिता रुस्तम अली खान के नाम पर दर्ज थी.

Liaquat Ali Khan

पाकिस्तान के पूर्व पीएम लियाकत अली खान.

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में एक नई मस्जिद को लेकर विवाद शुरू हो गया है. ये मस्जिद जिस जमीन पर बनाई गई है, वह पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की पुश्तैनी संपत्ति है, जिसे सरकार ने साल 1968 में शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया था. अब आरोप है कि इसपर अवैध तरीके से मस्जिद का निर्माण कर जमीन कब्जा करने की कोशिश की जा रही है.

सरकार ने घोषित की थी शत्रु संपत्ति

गौरतलब है कि लियाकत अली खान भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय पाकिस्तान चले गए थे, जिसके बाद सरकार ने उन सभी परिवारों की संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया था, जो भारत छोड़कर चले गए थे, जिसमें लियाकत अली के पिता की संपत्ति भी शामिल है. इस विवाद का केंद्र बिंदु मुजफ्फरनगर रेलवे स्टेशन के पास स्थित एक मस्जिद और उससे जुड़ी चार दुकानें हैं, जो पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की संपत्ति थी.

इस विवाद को लेकर सिटी मजिस्ट्रेट विकास कश्यप ने कहा, “इस जमीन संबंधित एक प्रार्थना पत्र मिला है, जिसमें यह दावा किया गया था कि यह जमीन शत्रु संपत्ति है. जब दिल्ली शत्रु संपत्ति अधिकरण से इस मामले की जांच कराई गई तो पता चला कि ये शत्रु संपत्ति है,जबकि मुस्लिम पक्ष के लोग इसे वक्फ संपत्ति बता रहे थे, लेकिन जांच में यह स्पष्ट हुआ कि यह जमीन लियाकत अली खान की थी और विभाजन के बाद इसे शत्रु संपत्ति घोषित किया गया था.

वक्फ बोर्ड की जमीन होने का दावा

बता दें कि यह विवाद करीब डेढ़ साल पहले तब शुरू हुआ था, जब हिंदू सनातन संगठन के संयोजक संजय अरोड़ा ने प्रशासन को एक प्रार्थना पत्र दिया था, जिसमें इस जमीन पर अवैध कब्जे का आरोप लगाया गया था. उन्होंने कहा कि यह जमीन लियाकत अली खान की थी और अवैध तरीके से मस्जिद और दुकानें बनाई गई थीं. वहीं इस मस्जिद के एक दुकानदार ने दावा किया कि इस जमीन को 1946 में वक्फ को दान कर दी गई थी. इसलिए शत्रु संपत्ति की बात गलत है.

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शत्रु संपत्ति अधिकरण से कराई गई जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि 1918 में यह संपत्ति लियाकत अली खान के पिता रुस्तम अली खान के नाम पर दर्ज थी. 1947 में बंटवारे के बाद इसे शत्रु संपत्ति घोषित किया गया था. अब जांच में पाया गया कि इस जमीन पर हाल ही में एक होटल बनाया गया था. बाद में इसे मस्जिद और दुकानों में तब्दील कर दिया गया.

-भारत एक्सप्रेस



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