States Ranking: साख निर्धारित करने वाली और शोध कंपनी केयर एज ने देश के सभी राज्यों पर एक विशेष सर्वे कर एक रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट में राज्यों की रैंकिग तय की गई है. इस कंपनी ने अपने सर्वे में सामाजिक, आर्थिक और शासन के संचालन को ध्यान में रखते हुए रैंकिंग को तैयार की है. कंपनी रैंकिंग रिपोर्ट में पहले स्थान पर महाराष्ट्र है, जबकि गुजरात और तमिलनाडु क्रमश: दूसरे और तीसरे नंबर पर हैं. तो वहीं राजकाज के मामले में आंधप्रदेश और तमिलनाडु को पीछे छोड़कर उत्तर प्रदेश तीसरे नंबर पर है.
केयर एज कंपनी के मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने इसका श्रेय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दिया है. उनका मानना है कि सीएम योगी की अगुवाई वाली सरकार ने प्रदेश में व्यापार करने का माहौल बनाया है. उन्होंने कहा कि राजकाज के स्तर पर रैंकिंग में पहुंचने के लिए सबसे जरुरी व्यापार के लिए राज्य में बेहतर वातावरण बनाना, शासन के स्तर पर डिजिटलीकरण को लेकर रिकॉर्ड, मुकदमों का कोर्ट के स्तर पर जल्दी समाधान करना और पुलिस बल पर जोर दिया गया है.
अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा का कहना है कि समग्र रैंकिंग लंबी अवधि में हुए लाभ को बताती है. उन्होंने कहा कि अब भौतिक बुनियादी ढांचे पर ध्यान दिया जा रहा है. साथ ही उनका कहना है कि अगर जनसंख्या को लेकर जो लाभ है, उसका फायदा उठाने के लिए प्रदेशों को स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी सामाजिक ढांचागत सुविधाओं पर विशेष ध्यान देने की जरुरत है.
पश्चिम-दक्षिण के प्रदेश बेहतर
अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि पश्चिम और दक्षिण के प्रदेश इस मामले में अच्छा कर रहे हैं. उन्होंने जो नीतियां अपनायी हैं, उसका लाभ दिख रहा है. अर्थशास्त्री सिन्हा ने कहा कि समग्र रैकिंग में तमिलनाडु तीसरे नंबर पर है. इसकी वजह सामाजिक क्षेत्रों में राज्यों का बेहतर प्रदर्शन है. हालांकि, उसका पड़ोसी राज्य केरल इस मामले में अव्वल है.
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बता दें कि, राज्यों की समग्र सूची में महाराष्ट्र पहले नंबर पर है. इसके पीछे का कारण वित्तीय समावेश के क्षेत्र में उसका बेहतर प्रदर्शन है. वहीं गुजरात का आर्थिक और राजकोषीय मोर्चे पर अच्छा प्रदर्शन है. हालांकि, गुजरात सामाजिक मानदंडों में पीछे है. वह इस मामले में ओड़िशा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, झारखंड और बिहार जैसे राज्यों से आगे है. गौरतलब है कि इस रैकिंग को तैयार करते समय बुनियादी ढांचे की स्थिति, वित्तीय समावेशन, राजकोषीय प्रबंधन और पर्यावरण पर भी गौर किया गया है.
-भारत एक्सप्रेस