शिवसेना भवन
Mumbai: शिवसेना का नाम और चुनाव निशान दोनों ही छिन जाने के बाद उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुट के लोगों के बीच शिवसेना को लेकर राजनीतिक बयानबाजी जारी है. चुनाव आयोग द्वारा शिवसेना की कमान एकनाथ शिंदे को सौंपने के बाद अब बड़ा सवाल यह भी है कि शिवसेना भवन (Shivsena Bhavan) अब किसके हिस्से में जाएगा. क्या इस पर भी शिंदे गुट अपना दावा ठोकेगा.
भवन का स्वामित्व शिवई ट्रस्ट के पास
मुंबई के दादर में स्थित सेना भवन महाराष्ट्र की राजनीति में खास स्थान है. शिवसेना द्वारा कई महत्वपूर्ण राजनीतिक फैसले इसी भवन से लिए जाते रहे हैं. इस भवन का स्वामित्व शिवई ट्रस्ट के पास है. बताया जा रहा है कि इसे ठाकरे परिवार द्वारा नियंत्रित किया जाता है. यह भवन पार्टी के नाम पर नहीं है.
यही कारण है कि इससे पहले भी उद्धव ठाकरे ने इसे लेकर यह बात कही थी कि शिंदे गुट शिवसेना भवन पर दावा नहीं कर सकता. उसके पास इस तरह का कोई अधिकार नहीं है कि वह इस पर दावा कर सकता है.
शिंदे गुट ने कहा कि भवन पर दावा नहीं करेंगे
शिवसेना की स्थापना के लगभग आठ साल बाद 1974 में शिवसेना भवन (Shivsena Bhavan) की स्थापना हुई थी. चुनाव आयोग के फैसले के बाद असली शिवसेना के रूप में शिंदे गुट को जाना जाएगा. इस गुट ने यह स्पष्ट किया कि वे सेना भवन पर किसी तरह का कोई दावा नहीं करेंगे.
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शिवसेना भवन को लेकर कानूनी पेंच
शिवसेना भवन को लेकर शिंदे गुट के एक नेता का कहना है कि, “जब शिवसेना भवन और शिवसेना शाखाओं पर दावा करने की बात आती है तो इसमें कानूनी पेंच होते हैं. भवन ट्रस्ट का है न कि पार्टी का इसलिए हम इस पर दावा नहीं करेंगे. हालाँकि शाखाएं अलग-अलग लोगों के स्वामित्व में हैं. जबकि कुछ शाखाएं पार्टी के नाम पर हैं. कुछ अन्य शिवसेना नेताओं के नाम पर हैं. कोई भी कदम उठाने से पहले इन सभी पर विचार किया जाएगा.”
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