हाईकोर्ट ने ग्रेटर कैलाश केयर होम में लगी आग से बुजुर्ग महिला की मौत की जांच चितरंजन पार्क थाने के पुलिस के बदले किसी अन्य जांच एजेंसी से कराने की मांग पर नोटिस जारी किया है। न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने याचिकाकर्ताओं को इस मामले में वृद्धों के देखभाल के लिए बने अंतरा केयर होम को पक्षकार बनाने का निर्देश देते हुए सुनवाई 20 अप्रैल के लिए स्थगित कर दी है।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि थाने की पुलिस अपनी जांच में अग्निशमन विभाग को शामिल करने की इच्छुक नहीं है, जिससे यह स्थापित किया जा सके कि केयर होम को एनओसी क्यों दी गई थी। उन्होंने इस मामले की जांच किसी वरिष्ठ अधिकारी की निगरानी में अन्य जांच एजेंसी से जांच कराने की मांग की है। मामले के अनुसार दिल्ली के पॉश ग्रेटर कैलाश 2 इलाके में वृद्धों के लिए बने एक निजी देखभाल गृह में 1 जनवरी को आग लगने के बाद जलने से 86 वर्षीय महिला कंचन अरोड़ा की मौत हो गई थी। इसको लेकर उसके परिजनों ने याचिका दाखिल कर जांच करवाने की मांग की है।
कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के उस बयान को भी दर्ज किया कि अंतरा असिस्टेड केयर सर्विसेज लिमिटेड द्वारा चलाए जा रहे केयर होम को अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) क्यों दिया गया था। पुलिस ने इसको लेकर आईपीसी की धारा 304ए (लापरवाही से मौत), 285 (लापरवाही के संबंध में लापरवाही बरतने) व 337 (दूसरों की जान या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कार्य से चोट पहुंचाना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी। याचिकाकर्ताओं ने राज्य और दिल्ली पुलिस आयुक्त के खिलाफ याचिका दाखिल कर आरोप लगाया गया कि कानून के अनुसार प्राथमिकी की जांच नहीं की जा रही है। उसने कहा कि घटना के समय अग्नि सुरक्षा मानदंडों की कमी और देखभाल करने वालों की अनुपस्थिति के कारण उनकी मां की जान चली गई।
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