Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के ‘देवी ब्रह्मचारिणी’ रूप की पूजा की जाती है. मां का यह रूप बहुत ही खास है. धार्मिक ग्रंथों में इस बात का जिक्र मिलता है कि मां दुर्गा ने मां पार्वती के रूप में जन्म लिया था और भगवान शिव शंकर को अपने पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी. इस तपस्या के कारण ही उनकी पूजा ‘देवी ब्रह्मचारिणी’ के नाम से भी होती है.
ब्रह्म की प्राप्ति कराती मां ब्रह्मचारिणी
अगर बात करें मां के ब्रह्मचारिणी नाम के अर्थ की तो सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी द्वारा निर्देशित आचरण पर चलने के कारण मां का यह नाम पड़ा. माना जाता है कि मां की कृपा से ब्रह्म की प्राप्ति होती है. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से पराशक्तियां और कई सिद्धियां मिलती हैं. इस दिन तंत्र मंत्र के जानकार मां की विशेष पूजा करते हैं.
माता ब्रह्मचारिणी को लगाएं इसका भोग
चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के द्वितीय रूप माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. माता ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने के लिए उनको शक्कर का भोग लगाएं. माना जाता है कि इस दिन माता को शकर का भोग लगाने से परिवार के सभी सदस्यों की आयु में वृद्धि होती है.
इस दिन ब्राह्मण और गरीबों को दान में भी चीनी ही दें. माना जाता है कि माता ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से मनुष्य में तप, त्याग, सदाचार आदि की वृद्धि होती है.
इस विधि से करें मां की पूजा
इस दिन सबसे पहले देवी ब्रह्मचारिणी को पंचामृत स्नान कराएं. इसके बाद दीप धूप दिखाते हुए फिर अलग-अलग तरह के सफेद फूल, कुमकुम, अक्षत और सिन्दुर अर्पित करें. मां को कमल का फूल और सुगंधित फूल चढ़ाएं. फिर मां को भोग लगाएं. इसके बाद मां का ध्यान करें और अंत में मां की आरती करें.
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इन मंत्रों से करें प्रार्थना
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
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