Bharat Express

अतीक और अशरफ के अलावा भी पुलिस की मौजूदगी में हो चुकी है हत्याएं, थाने में बदमाशों ने BJP सरकार में दर्जा प्राप्त मंत्री को गोलियों से कर दिया था छलनी

Police Custody: सुप्रीम कोर्ट ने साल 1996 में एक केस की सुनवाई के दौरान एक आदेश में कहा था कि किसी भी इंसान की पुलिस कस्टडी में हत्या जघन्य अपराध है.

Atiq-Ashraf

माफिया अतीक और उसका भाई, (फाइल फोटो-PTI)

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में बीते शनिवार को माफिया अतीक अहमद (Atiq Ahmed Shot Dead) और उसके भाई अशरफ (Ashraf Ahmed) की पुलिस कस्टडी (Police Custody) में गोली मार कर हत्या कर दी गई. हालांकि ये कोई पहला मामला नहीं है जब पुलिस की मौजूदगी में किसी की हत्या हुई हो. इससे पहले भी पुलिस (Police) के सामने कई हत्याएं हो चुकी हैं. पहले भी पुलिस कस्टडी में हत्या को लेकर सवाल उठ चुके हैं और कई बार विपक्ष ने योगी सरकार (Yogi Adityanath) को घेरा भी है. यूपी में पुलिस कस्टडी में हत्याओं एक पूरा इतिहास है.

  • साल 2001 में भाजपा (BJP) सरकार में दर्जा प्राप्त मंत्री संतोष शुक्ला की कानपुर देहात जिले के शिवली थाने में हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे ने गोलियों से भूनकर हत्या कर दी थी.
  • कानपुर में ही साल 2005 में डीटू गैंग के सरगना रफीक की भी पुलिस कस्टडी में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. मामले में आरोपी को उम्रकैद की सजा मिली थी.
  • साल 2012 में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की महिला नेता शम्मी कोहली की हत्या के आरोप में जेल में बंद मोहित की पुलिस कस्टडी में हत्या कर दी गई थी. यह घटना उस वक्त घटी जब मोहित को गाजियाबाद कोर्ट से पेशी से पुलिस वापस श्री धाम एक्सप्रेस ट्रेन से आगरा ले जा रही थी. मथुरा रिफाइनरी और फरह स्टेशन के बीच चलती ट्रेन में फायरिंग कर मोहित को मौत के घाट उतार दिया था. उस वक्त इस हत्या का आरोप शूटर हरेंद्र राणा और उसके साथियों पर लगाया गया था.
  • साल 2015 में मथुरा में दिल्ली-आगरा नेशनल हाईवे पर हाथरस के कुख्यात बदमाश राजेश टौंटा को भारी पुलिस फोर्स के साथ इलाज के लिए आगरा ले जाते समय मौत के घाट उतार दिया था. थाना रिफाइनरी और थाना फरह की सीमा पर बदमाशों ने एंबुलेंस को टायर में गोली मारकर रुकवा लिया और ताबड़तोड़ फायरिंग कर राजेश टौंटा को मौत के घाट उतार दिया था.
  • एक फरवरी 2017 को राजधानी में श्रवण की हत्या करा दी गई. अपने बेटे को न्याय दिलाने के लिए लखनऊ के सआदतगंज में लड़ाई लड़ रहे एक पिता श्रवण साहू की पुलिस की सुरक्षा में हत्या कर दी गई थी. हमले के वक्त वह अपने घर पर थे, उनके घर के बाहर पुलिसकर्मी सुरक्षा दे रहे थे. श्रवण पर कुछ बाइक सवार बदमाश आए और ताबड़तोड़ गोलियां चलाई जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई.
  • साल 2018 में मथुरा के छाता थाना इलाके के तहसील कोर्ट परिसर में बदमाशों ने कर्मवीर नामक बदमाश पर फायरिंग कर दी, जिसमें वह घायल हो गया. कर्मवीर पर जिस समय फायरिंग की गई वह पुलिस हिरासत में कोर्ट आया हुआ था. कर्मवीर ने 28 अगस्त 2018 को इलाज के दौरान दम तोड दिया था.
  • कासगंज में 9 नवंबर 2021 को कोतवाली पुलिस की हिरासत में 20 साल के एक युवक अल्ताफ की मौत हो गई थी. पुलिस के अनुसार अल्ताफ के मौत की वजह आत्महत्या थी. हालांकि परिवार ने पुलिस पर हत्या करने का आरोप लगाए थे.

यूपी में बीते 5 साल में पुलिस कस्टडी में हुई 41 की मौत

आंकड़े पर नजर डालें तो उत्तर प्रदेश (UP) में साल 2017 से लेकर साल 2022 तक पुलिस कस्टडी में 41 लोगों की हत्या हो चुकी है. लोकसभा में गृह मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, साल 2017 में 10 लोगों की मौत हुई, साल 2018 में 12 लोगों की पुलिस कस्टडी के दौरान मौत हुई, साल 2019 में 3, 2020 में 8 और 2021 में 8 लोगों की पुलिस कस्टडी में मौत हुई है.

ये भी पढ़ें: Atiq-Ashraf Murder Case: सुप्रीम कोर्ट पहुंचा अतीक और अशरफ की हत्या का मामला, जांच के लिए स्वतंत्र समिति के गठन की मांग

20 सालों में 1888 लोगों की पुलिस हिरासत में मौत

NCRB की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में पिछले 20 सालों में 1888 लोगों की पुलिस हिरासत में मौत हुई है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इन मामलों में पुलिसकर्मियों के खिलाफ 893 केस दर्ज किए गए और 358 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर हुई. हालांकि सिर्फ 26 पुलिसकर्मियों को सजा दी गई.

-भारत एक्सप्रेस



इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.

Also Read