अखिलेश यादव, आजम व अब्दुल्ला, अनुराधा चौहान
Suar Bypoll 2023: उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले की स्वार सीट का उपचुनाव सियासी महाभारत का नया गवाह बनने जा रहा है. ये सीट सपा नेता आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम की विधायकी रद्द होने की वजह से खाली हुई है. मुस्लिम बहुल सीट पर सपा की तरफ से एक हिंदू महिला का उम्मीदवार बनाना भाजपा के चुनावी प्लान को झटका देने वाला है. हारी हुई बाजी को दोबाारा जितने के लिए अखिलेश यादव ने जो प्रयोग किया है. उसका असर दूर तक दिखाई देने वाला है.
सियासत की चालें स्वार में कभी इतने पर्दे में नहीं रही, जितना इस बार नजर आ रहा है. पहले आजम परिवार ने चुप्पी साधे रखी, फिर सपा के खेमे में भी खामोशी दिखी. अटकलों का दौर तेज था कि आखिर आजम खान के परिवार की रसूख से जुड़ी इस सीट पर अखिलेश यादव किस उम्मीदवार को मैंदान में उतारेंगे. उपचुनाव की जंग को लेकर कई नाम चर्चा में चल रहे थे, लेकिन दिलचस्प ये था कि ये तमाम नाम मुस्लिम समाज से थे. समाजवादी पार्टी ने इनमें से किसी पर भी मुहर लगाई. सूत्रों की मानें तो पहले भले चर्चा रही हो कि आजम खान ने स्वार सीट के लिए उम्मीदवार को चुनने से दूरी बना ली है, लेकिन ऐसा था नहीं. सच ये था कि आजम और सपा की तैयारी सबको चौकाने की थी.
दरअसल, अखिलेश यादव चुनावी राजनीति के नए प्रयोग का इंतजार कर रहे थे और ये इंतजार जिला पंचायत सदस्य अनुराधा चौहान पर जाकर खत्म हुआ. अनुराधा पेशे से वकील रही हैं. पूर्व प्रधान भी रह चुकी हैं और जमीनी काम के लिए रामपुर में अच्छी पहचान है. लेकिन अनुराधा का सियासी कद इतना बड़ा था कि उन्हें रेस शामिल नामों में गिना जाए. लेकिन आखिरकार उनके नाम पर मुहर लगना ये बताने को काफी है कि समाजवादी पार्टी इस बार भाजपा के खिलाफ उसी के हथियार से लड़ाई लड़ने के मूड में आ चुकी है और इसीलिए जब भाजपा के सहयोगी अपना दल (एस) ने पसमांदा समाज से उम्मीदवार का नाम तय किया था. तो सामजवादी पार्टी ने एक हिंदू नेता को टिकट दे दिया, जिससे मुस्लिम वोटरों के बटने के सूरत में हिंदू वोटों से इसकी भरपाई की जा सके और जीत की संभावना तो कायम रखा जाए.
नाम के ऐलान के बाद आखिरी वक्त में अनुराधा चौहान ने पर्चा भरा और उसके बाद जीत के दावे करने से भी नहीं चूंकी. उन्होंने कहा कि अब्दुल्ला आजम का मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. मैं उसी का इंतजार कर रही थी. आज मैंने नामांकन कर दिया.
स्वार सीट का इतिहास
स्वार की सीट पर 1989 से 2002 तक बीजेपी का परचम लहराता था. यहां से शिव बहादुर सक्सेना 4 बार विधायक रहे. शिव बहादुर सक्सेना रामपुर सदर के मौजूदा विधायक आकाश सक्सेना के पिता हैं. 2002 से 2017 तक स्वार की सीट कांग्रेस के पास रही, जहां से नवाब काजिम अली खान 3 बार जीतते रहे. 2017 और 2022 के चुनाव में ये सीट सपा के कब्जे में चली गई. यहां से लगातार दो चुनाव में आजम के बेटे अब्दुल्ला आजम ने परचम लहराया. लेकिन दोनों ही बार अगल-अलग मामले में उनकी विधायकी चली गई. कानूनी रुप से अब्दुल्ला चुनाव नहीं लड़ सकते, इसी वजह से इस सीट पर आजम खान अपने किसी करीबी को मैदान में उतारना चाहते थे और ये तलाश अब अनुराधा चौहान पर जाकर खत्म हुई है. लेकिन अपना दल (एस) के प्रत्याशी सफीक अहमद का दावा है कि सपा के किस्मत में अब यहां की जनता हार ही लिखेगी.
61 हजार वोट से हार गए थे हमजा मियां
सबसे खास बात इस सीट से नवाब परिवार के सदस्य नवाब हैदर अली खान उर्फ हमजा मियां को टिकट नहीं मिलना है. 2022 के विधानसभा चुनाव में हमजा को अपना दल (एस) ने ही टिकट दिया था. लेकिन वो अब्दुल्ला आजम से 61 हजार वोट से हार गए थे. अब्दुल्ला को 2022 में 1,26,162 वोट मिले थे तो हमजा मिया को 65,059 वोट. इसी वजह से इस बार भाजपा गठबंधन ने नया प्रयोग किया और नवाब परिवार की जगह मुस्लिम समाज के अंसारी बिरादरी से आने वाले सफीक अहमद पर दांव लगाया. हालांकि अब देखना है कि यहां की जनता किस उम्मीदवार की किस्मत में जीत लिखती है.
-भारत एक्सप्रेस
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