नई दिल्ली। जल्द ही किसान क्रेडिट कार्ड की सभी सेवाएं डिजिटल होने जा रही हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने शुक्रवार को बताया कि किसान क्रेडिट कार्ड के एंड टू एंड डिजिटलाइजेशन का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। ये काम रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की सहायक संस्था रिजर्व बैंक इनोवेशन हब के द्वारा होने जा रहा है। जिसका उद्देश्य लोन बांटने की दर को कई गुना बढ़ाना होगा।
प्रोजेक्ट की शुरुआत इसी महीने से की जाएगी। बैंक में केसीसी के तहत लोन देने की कई प्रक्रियाओं को ऑटोमेटिक और सिस्टम को सीधा सर्विस प्रोवाइडर से जोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। केसीसी डिजिटलाइजेशन प्रोजेक्ट का उद्देश्य लोन लेने वाले लोगों के लिए प्रक्रिया को आसान बनाना और लागत को कम करना होगा।
केसीसी का होगा कायाकल्प
आरबीआई ने आगे बयान में कहा कि इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत केसीसी के डिजिटलाइजेशन के माध्यम क्रेडिट प्रक्रिया को तेज और कुशल बनाकर लोन के प्रवाह को उन लोगों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी, जिन तक ये सेवाएं नहीं उपलब्ध हैं। साथ ही जब यह पूरी तरह से लागू हो जाता है, तो इसमें देश की ग्रामीण ऋण वितरण प्रणाली को बदलने की क्षमता मिलेगी।
आरबीआई ने बताया कि इस पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत यूनियन बैंक और फेडरल बैंक की साझेदारी के साथ मध्य प्रदेश और तमिलनाडु के कुछ चुने हुए जिलों से की जाएगी। इसके साथ इस कार्य में राज्य सरकारों का भी सहयोग लिया जाएगा। आरबीआई ने अंत में कहा कि पायलट प्रोजेक्ट से मिले अनुभव के आधार पर केसीसी के डिजिटलाइजेशन का इन प्रदेशों के अन्य जिलों में विस्तार होगा। फिर इसके बाद इसे पूरे देश में लागू किया होगा।
क्या है किसान क्रेडिट कार्ड
किसान क्रेडिट कार्ड स्कीम की शुरुआत 1998 में की गई थी, जिसका उद्देश्य किसानों को कृषि संबंधित खर्चों की पूर्ति के लिए लोन उपलब्ध करवाना है। साथ ही KCC के जरिए लिए गए लोन से किसान फसल के लिए बीज, उर्वरक आदि खरीदने के अलावा निजी जरूरतें भी पूरी कर सकते हैं। इस पर ब्याज भी बेहद कम लिया जाता है।
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