प्रतीकात्मक तस्वीर
सिख समुदाय के लोग गुरु नानक देवजी से प्रेरित होकर निस्वार्थ सेवा भाव को अपनाते हैं. गुरु नानक का अपने पिता के 20 रुपयों से साधुओं को खाना खिलाने और कपड़े पहनाने का भाव स्वयं से पहले दूसरों की सेवा करने के निहित मूल्य को दर्शाता है. यह लोकाचार आज भी सिख धर्म को आकार दे रहा है.
जब पूरी दुनिया कोरोना के प्रकोप को झेल रही थी, भारत में उस वक्त सिख समुदाय के लोगों ने ऑक्सीजन लंगर शुरू किया जहां जरूरतमंद लोगों को ऑक्सीजन सपोर्ट दिया जाता था. अस्पताल के बेड या ऑक्सीजन सप्लाई के लिए जूझ रहे मरीजों को गुरुद्वारों ने ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदे और उनमें वितरित किए.
कोरोना महामारी के दौरान पूरी दुनिया में सिख समुदाय साथ आए और गुरुद्वारों को क्वारंटाइन सेंटर में बदल दिया गया, जरूरतमंद लोगों को उनके धर्म या राष्ट्रीयता से परे मुफ्त भोजन (लंगर) प्रदान किया गया, मरीजों के घर-घर भोजन पहुंचाकर उनकी सेवा की गई.
अमेरिका में तूफान हार्वे के बाद, देश भर के सिख समुदायों ने धन जुटाया, प्रभावित लोगों को भोजन प्रदान किया. सिखों ने दुनिया भर में शरणार्थियों की लगातार मदद की है. वे सीरिया संकट के दौरान भी एक्टिव थे और उन्होंने विस्थापितों को भोजन, आश्रय और अन्य आवश्यकताएं प्रदान कीं.
-भारत एक्सप्रेस