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उत्तर प्रदेश की सियासत के पहले बाहुबली और पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी का निधन

Hari Shankar Tiwari: पूर्वांचल और बिहार में वर्तमान समय में राजनीति में सक्रिय तमाम बाहुबली हरिशंकर तिवारी के शिष्य रह चुके हैं.

Harishankar Tiwari

हरिशंकर तिवारी

Hari Shankar Tiwari: उत्तर प्रदेश की राजनीति के पहले बाहुबली मंत्री हरिशंकर तिवारी का आज शाम तकरीबन शाम 6:30 बजे 88 वर्ष की अवस्था में अपने गोरखपुर आवास पर निधन हो गया.

80 और 90 के दशक में उत्तर प्रदेश की राजनीति को नजदीक से देखने और जानने वाला शायद ही कोई ऐसा हो जिसने हरिशंकर तिवारी (Harishankar Tiwari) और तिवारी के हाता (Tiwari Hata) की कहानियाँ ना सुनी हो. गिरोहबंध अपराध से राजनीति में आने वालों के आदर्श के तौर पर भी हरिशंकर तिवारी का नाम लिया जाता है.

हरिशंकर तिवारी पहली बार 1985 में निर्दलीय लड़ विधानसभा पहुंचे थे, फिर अलग-अलग राजनीतिक दल के टिकट पर चुनाव लड़कर जीतते रहे. तीन बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर जीते व यूपी सरकार में मंत्री (Minister in Up Government) भी बने थे. 2007 के चुनाव में बसपा ने राजेश त्रिपाठी (Rajesh Tripathi) को अपना प्रत्याशी बनाकर चुनाव मैदान में उतार दिया और राजेश त्रिपाठी ने अपने सर पर कफन बांधकर चुनाव लड़ा और मऊ जिले से सटी हुई गोरखपुर की चिल्लूपार विधानसभा क्षेत्र में 27 साल बाद हरिशंकर तिवारी के विजय रथ को रोका.

हरिशंकर तिवारी इस सीट से लगातार 22 वर्षों (1985 से 2007) तक विधायक रहे. हरिशंकर तिवारी छह बार विधायक के अलावा कल्‍याण स‍िंह (Kalyan Singh) से लेकर मुलायम स‍िंंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की सरकार में अलग-अलग व‍िभागों के मंत्री रह चुके थे. अपराध की दुनिया से राजनीति में कदम रखने वाले हरिशंकर तिवारी की गिनती उत्तर प्रदेश के बड़े बाहुबलियों में की जाती थी.

हरिशंकर तिवारी लोकतांत्रिक कांग्रेस (Loktantrik Congress) के संस्थापक भी रहे. यही नहीं हरिशंकर तिवारी पूर्वांचल के बड़े ब्राह्मण नेता के रूप में जाने जाते थे. पूर्वांचल और बिहार में वर्तमान समय में राजनीति में सक्रिय तमाम बाहुबली हरिशंकर तिवारी के शिष्य रह चुके हैं तो वहीं उत्तर प्रदेश के वर्तमान उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक (Deputy Chief Minister Brijesh Pathak) भी हरिशंकर तिवारी के एक समय करीबी रह चुके हैं इसकी वजह हरिशंकर तिवारी के पुत्र विनय शंकर तिवारी रहे. लखनऊ विश्वविद्यालय में विनय शंकर तिवारी और बृजेश पाठक सहपाठी होने के साथ – साथ अच्छे मित्र भी रहे.

हरिशंकर तिवारी का जन्म गोरखपुर (Gorakhpur) जिले के बड़हलगंज ब्लॉक के टांडा गॉव में हुआ था. हरिशंकर तिवारी के बड़े बेटे भीष्‍म शंकर उर्फ कुशल त‍िवारी (Kushal Tiwari) संतकबीर नगर लोकसभा क्षेत्र से सांसद तो छोटे बेटे व‍िनय शंकर तिवारी (Vinay Shankar Tiwari) चिल्लूपार विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं.

-भारत एक्सप्रेस

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