क्या है अनंत चतुर्दशी का महत्व ,क्यों रखते हैं उपवास?
नई दिल्ली-आज अनंत चतुर्दशी है.शास्त्रों में इसका इसका महत्व बताया गया है. भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी को अनन्त चतुर्दशी कहा जाता है। इस व्रत में भगवान विष्णु की पूजा होती है। इस दिन अनन्त भगवान की पूजा करके संकटों से रक्षा करने वाला अनन्त सूत्र बांधा जाता है।कहते हैं कि जब पाण्डव धृत क्रीड़ा में अपना सारा राज-पाट हारकर वन में कष्ट भोग रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनन्त चतुर्दशी का व्रत करने की सलाह दी थी। धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने भाइयों तथा द्रौपदी के साथ पूरे विधि-विधान से उपवास किया और अनन्त सूत्रधारण किया था । अनन्त चतुर्दशी-व्रत के प्रभाव से पाण्डव सब संकटों से मुक्त हो गए।
अनंत चतुर्दशी के दिन क्या करना चाहिए?
इसके लिए सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प करना चाहिए। शास्त्रों में व्रत का संकल्प और पूजन किसी पवित्र नदी और सरोवर के तट पर किया जाता है . घर में पूजा स्थान पर कलश स्थापित करें। कलश पर शेषनाग की शैय्यापर लेटे भगवान विष्णु की मूर्ति और चित्र को रखें। उनके पास चौदह ग्रंथियों से युक्त अनन्तसूत्र (डोरा) रखें। इसके बाद ‘ॐ अनन्तायनम:’ मंत्र से भगवान विष्णु और अनंतसूत्रकी षोडशोपचार-विधि से पूजा करें। पूजा करने के बाद अनन्तसूत्र को मंत्र पढकर पुरुष अपने दाहिने हाथ और स्त्री बाएं हाथ में बांध लें ।
अनंतसूत्र बांध लेने के बाद किसी ब्राह्मण को नैवेद्य (भोग) में निवेदित पकवान देकर स्वयं सपरिवार प्रसाद ग्रहण करें। पूजा के बाद व्रत कथा को पढ़ना और सुनना चाहिए।
-भारत एक्सप्रेस
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