105 year old woman earns master's Degree
अक्सर कहा जाता है कि पढ़ने-लिखने की कोई उम्र नहीं होती है. इंसान जब चाहे तब वो आराम से पढ़ सकता है. वहीं आजकल कई लोग नौकरी करते करते, तो कई महिलाएं शादी के बाद या फिर बच्चों की पढ़ाई के साथ ही अपनी पूरी पढ़ाई करती हैं. इसी का एक जीता-जाता उदाहरण आज आपको हम इस आर्मेंटिकल बताने जा रहे हैं. हाल के दिनों में एक ऐसी ही महिला की कहानी सोशल मीडिया पर लोगों के बीच चर्चा में है. जहां महिला ने 105 साल की उम्र में मास्टर डिग्री हासिल की है.
हम बात कर रहे हैं अमेरिका के वर्जीनिया गिनी हिसलोप के बारे में, जिन्होंने स्टैनफोर्ड ग्रेजुएट स्कूल ऑफ एजुकेशन (GSE) से 80 साल बाद वापस आकर अपनी पढ़ाई को पूरा किया. बुजुर्ग महिला का नाम वर्जीनिया ‘जिनी’ हिसलोप है. उन्होंने 1940 के दशक में स्टैनफोर्ड में जरूरी कक्षाओं में शामिल हुई थीं, लेकिन जब वह अपनी अंतिम मास्टर्स थीसिस जमा करने वाली थीं, उससे ठीक पहले द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ गया था, जिसने स्नातक करने की उनकी योजना को प्रभावित किया.
80 साल पहले पढ़ाई छोड़ने का कारण
दरअसल, उस समय वर्जीनिया के बॉयफ्रेंड को युद्ध में सेवा देने के लिए बुला लिया गया था, इसलिए वर्जीनिया ने भी बॉयफ्रेंड से शादी करने के लिए स्कूल छोड़ दिया था. वर्जीनिया भी उस समय युद्ध संबंधी कार्यों में अपनी सेवा देने लगीं और अपने परिवार के पालन-पोषण पर ध्यान केंद्रित किया. वर्जीनिया हिसलोप के परिवार में दो बच्चे, चार पोते-पोतियां और नौ परपोते-परपोतियां हैं. हिसलोप ने दशकों तक वाशिंगटन स्टेट में स्कूल और कॉलेज बोर्ड में भी काम किया.
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105 साल में हासिल की मास्टर्स डिग्री
इस बीच स्टैनफोर्ड ने अपनी थीसिस की अनिवार्यता समाप्त कर दी और हिसलोप आखिरकार ग्रेजुएट होने के लिए स्कूल लौट आईं. रविवार (16 जून) को जब वह अपनी डिग्री प्राप्त करने के लिए गाउन पहनकर मंच पर आईं तो तालियों की गड़गड़ाहट से माहौल गूंज गया. जीएसई डीन डैनियल श्वार्ट्ज ने वर्जीनिया हिसलोप को उनका डिप्लोमा सौंपा. उस दौरान हिसलोप को यह कहते हुए सुना गया, ”हे ईश्वर, मैंने इसके लिए लंबे समय तक इंतजार किया है.” बता दें कि वर्जीनिया हिसलोप ने शिक्षा विषय में मास्टर ऑफ ऑर्ट्स की डिग्री प्राप्त की है.
बुधवार (19 जून) को प्रसारित एक साक्षात्कार ‘गुड मॉर्निंग अमेरिका’ से बात करते हुए, वर्जीनिया हिसलोप ने बताया कि वह लंबे समय से प्रतीक्षित मील के पत्थर को लेकर कितनी खुश हैं. उन्होंने कहा, ”झूठी विनम्रता कभी भी मेरी समस्याओं में से एक नहीं रही है… मुझे लगा कि मैं इसकी हकदार थी और इसे पाकर मैं बहुत खुश हूं.”
-भारत एक्सप्रेस
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