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हाय रे! चीन एक बार फिर लाया नई आफत, दुनिया का सबसे खतरनाक है ये चाइनीज कीड़ा, इन देशों में मचा रहा तबाही

चीन से एक और हैरान करने वाली खबर सामने आई है. चीन से लॉन्ग हॉर्न बीटल नाम का कीड़ा दुनिया के कई देशों में पहुंच गया है. आइए हम आपको बताते हैं पूरा मामला…

Chinese beetle

Chinese beetle

आए दिन चीन में अजीबोगरीब घटनाएं सामने आती रहती हैं. इससे पहले भी चीन की राजधानी बीजिंग में अजीब तरह की बारिश हुई थी जिसमें सड़कों पर खड़ी कारें पूरी तरह से कीड़ों से ढक गई थी. वहीं इस अजीबोगरीब घटना के पीछे के कारण का खुलासा भी नहीं हुआ था. इसके बाद फिर चीन से एक और हैरान करने वाली खबर सामने आई है. चीन से लॉन्ग हॉर्न बीटल नाम का कीड़ा दुनिया के कई देशों में पहुंच गया है, जो पेड़ों की जान का दुश्मन बन गया है. यह कीड़ा पेड़ों को चंद दिनों में ही चट कर जाता है. बांस से बनी चीजों को चंद मिनटों में नष्‍ट कर देता है. अगर ये घर में पहुंच जाए तो दीमक से भी ज्‍यादा खतरनाक है. आइए हम आपको बताते हैं पूरा मामला…

जानें कितना खतरनाक है ये चीन का कीड़ा

लंबे सींग वाले इसे कीड़े को कुछ लोग गुबरैला के नाम से भी जानते हैं. यह कीड़ा चीन, ताइवान और कोर‍ियाई प्रायद्वीप में पाया जाता है. कहते हैं क‍ि अगर एक बार ये कहीं जम जाए तो इसे हटाना मुश्क‍िल ही नहीं नामुमक‍िन है. पौधों को काटकर ही इससे निपटा जा सकता है. यह इतना खतरनाक है क‍ि ज‍िस भी पेड़ में यह घुस जाता है, उसे चंद दिनों में पूरी तरह चट कर जाता है. अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, मध्य पूर्व, ऑस्ट्रेलिया, स्‍व‍िटजरलैंड और भारत के कई राज्‍यों के ल‍िए चुनौती बना हुआ है.

घर का सारा फर्नीचर खा जाता है ये कीड़ा

जर्मनी के हैम्बर्ग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के मुताबिक, यह अगर आपके घर में घुस जाए तो आपका सोफा, डाइन‍िंंग टेबल, कुर्सियां सबकुछ खा जाता है. इसील‍िए इन्हें घरों में उपद्रव मचाने वाला कीट भी माना जाता है. हाल ही में स्‍व‍िटजरलैंड में इसने भारी तबाही मचाई. इसकी वजह से जंगल का काफी ह‍िस्‍सा काटना पड़ा है. क्‍योंकि गुबरैला से छुटकारा पाने का एकमात्र तरीका संक्रमित पेड़ों को नष्ट करना ही है. कई देशों में तो इसे बांस उद्योग को भी काफी नुकसान पहुंचाया है.

पेड़ों को कर देता है खत्‍म

लॉन्ग हॉर्न बीटल गोल छेद बनाता है. वहीं अंडे देते हैं. बच्‍चे पैदा करते हैं और फ‍िर फैल जाते हैं. फ‍िर नई वंशावली वही काम करती है. यह संक्रमण आख‍िरकार पेड़ों को खत्‍म कर देता है. पेड़ इससे बच नहीं पाते. छेद की वजह से पेड़ पोषक तत्‍वों को नहीं प्राप्‍त कर पता और एक दिन सूख जाता है. इनक वजह से दुनिया भर में अरबों डॉलर का नुकसान हो रहा है. यूरोप में पहली बार 1924 में इसे पाया गया. तब से ये तबाही मचा रहे हैं.

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