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यहां पर हवा से लेकर तालाब तक में घुला है ‘जहर’, हर तरफ नजर आता है खंडहर, वजह कर देगी हैरान

देश-दुनिया में ऐसी बहुत सी जगह हैं, जो अभी तक रहस्यमयी बनी हुई हैं. जिसके बारे में रिसर्च की जा रही हैं, इनकी सच्चाई जानने के लिए आज हम आपको ऐसी जगह के बारे में बताएंगे, जहां सालों पहले और आज के हाल में जमीन-आसमान का फर्क है.

देश-दुनिया में ऐसी बहुत सी जगह हैं, जो अभी तक रहस्यमयी बनी हुई हैं. जिसके बारे में रिसर्च की जा रही हैं, इनकी सच्चाई जानने के लिए.  आज हम आपको ऐसी जगह के बारे में बताएंगे, जहां सालों पहले का हाल और आज के हाल में जमीन-आसमान का फर्क है. ये जगह पहले किसी अलग काम की वजह से इस्तेमाल हुआ करती थी. दरअसल, कजाकिस्तान (Kazakhstan) की एक ऐसी ही जगह (Most nuked place) के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कभी यूएसएसआर का हिस्सा थी. इस जगह का नाम है कर्चाटोव (Kurchatov) जहां यूएसएसआर का न्यूक्लियर वेपन का टेस्ट सेंटर (सेमिपालाटिंस्क परीक्षण स्थल) हुआ करता था. ये एक बंद शहर था, यानी बिना इजाजत कोई भी ना अंदर आ सकता था और ना ही बाहर जा सकता था.

परमाणु परीक्षण केंद्र

करीब 33 साल पहले कजाकिस्तान ने आखिरी बार न्यूक्लियर हथियारों का परीक्षण यहां पर किया था. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस जगह पर करीब 40 सालों तक जमीन के ऊपर और जमीन के नीचे सैकड़ों न्यूक्लियर टेस्ट (Nuclear test center Kazakhstan) किए गए थे. न्यूक्लियर हथियारों की टेस्टिंग की वजह से 18,300 स्क्वायर कीलोमीटर का पूरा इलाका रेडियोएक्टिव कंटैमिनेशन का शिकार हो चुका है.

खंडहर बन चुका है इलाका

आज का आलम ये है कि ये जगह खंडहर बन चुकी है क्योंकि यहां पर कई पुराने न्यूक्लियर बंकर, ब्लास्ट क्रेटर बचे हुए हैं. साथ ही यहां के तालाबों में भी रेडिएशन के रूप में जहर घुल चुका है. इसे एटॉमिक लेक का नाम दिया गया है. इस इलाके और इसके आसपास रहने वाले लोग गंभीर रूप से बीमार पड़ चुके हैं. न्यूक्लियर कचरे की वजह से इलाके में रहने वाले लोगों को कैंसर तक हो गया. जिससे कई की मौत हो गई. जो अगली पीढ़ी यहां जन्मी, उनके अंदर भी कोई न कोई विकार देखने को मिला.

456 बमों का हुआ प्रशिक्षण

द सन की रिपोर्ट के अनुसार सोवियत ने इस जगह को बनाया और यहां पर 456 न्यूक्लियर और हाइड्रोजन बमों का प्रशिक्षण किया. माना जाता है कि सबसे ज्यादा घातक धमाका 15 जनवरी 1965 को हुआ था, जब यहां पर हिरोशिमा पर गिरने वाले बम से 11 गुना ज्यादा खतरनाक बम का प्रशिक्षण यहां पर किया गया था. ब्लास्ट की वजह से जहां पर भी गड्ढा बन जाता था, वहां पर पास की नदी के पानी भर दिया जाता था. यहां के आम लोग इन गड्ढों को अब एटॉमिक लेक कहते हैं. इस जगह पर आज भी लोगों को जाने से रोका जाता है और गार्ड्स इसकी देखरेख करते हैं.



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