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AIADMK के झटके बाद तमिलनाडु में कैसे खिलेगा ‘कमल’?

Lok Sabha Election 2024: एनडीए के घटक दलों को लेकर विपक्ष अक्सर ही हमलावर रहता है और तंज कसता रहा है कि बीजेपी अपने सहयोगियों को भाव नहीं देती है.

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पीएम नरेंद्र मोदी व ई पलानीस्वामी

Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर गहमा-गहमी बढ़ी हुई है और एनडीए से लेकर ‘इंडिया’ अलायंस तक अपने-अपने सहयोगियों की संख्या बढ़ाने की कोशिश में लगे हैं. लेकिन इन कोशिशों के बीच बीजेपी नीत एनडीए गठबंधन को बड़ा झटका लगा है. AIADMK नेता डी जयकुमार ने कहा है कि भाजपा से हमारा कोई गठबंधन नहीं है. उन्होंने कहा कि इस पर फैसला चुनाव के दौरान ही लिया जाएगा. दरसअल, AIADMK के सहारे ही बीजेपी तमिलनाडु में अपने पांव जमाने की कोशिश करती रही है.

जुलाई के महीने में एनडीए की बैठक हुई थी और इस बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी की बराबर वाली सीट पर AIADMK महासचिव पलानीस्वामी को जगह दी गई थी. ये बताता है कि तमिलनाडु में बीजेपी के लिए AIADMK कितनी अहमियत रखती है. वहीं AIADMK नेता का हालिया बयान बीजेपी के लिए दक्षिण भारतीय राज्य में अपने पैर पसारने की कोशिशों के लिहाज से किसी झटके से कम नहीं है.

क्यों बढ़ी तनातनी?

बीते कुछ दिनों से अन्नाद्रमुक और बीजेपी में लगातार तनातनी थी और यह उस वक्त और बढ़ गई जब तमिलनाडु की इस पार्टी के नेता ने बीजेपी से गठबंधन न होने का ऐलान कर दिया. जयकुमार ने कहा कि पार्टी अपने नेताओं के अपमान को सहन नहीं कर सकती है. उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि आपका वोट बैंक सबको मालूम है और यहां हमारे वजह से आपकी पहचान है. जयकुमार ने साफ किया कि यह उनकी व्यक्तिगत राय नहीं बल्कि पार्टी का स्टैंड है और पार्टी के कार्यकर्ता भी यही चाहते हैं.

दक्षिण भारतीय राज्य में बढ़ सकती हैं बीजेपी की मुश्किलें

तमिलनाडु में डीएमके सत्ता में है और वह इंडिया गठबंधन का हिस्सा है. वहीं तमिलनाडु में एआईएडीएमके के सहारे बीजेपी अपना विस्तार करने की जुगत में लगी हुई थी, लेकिन अब लोकसभा चुनावों से पहले अन्नाद्रमुक नेता के बयान के बाद यहां बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं. कर्नाटक में पहले ही बीजेपी सत्ता गंवा चुकी है. ऐसे में वह तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक के जरिए अपनी आवाज को दक्षिण में पहुंचा सकती थी.

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कई सहयोगी छोड़ चुके हैं एनडीए का साथ

एनडीए के घटक दलों को लेकर विपक्ष अक्सर ही हमलावर रहता है और तंज कसता रहा है कि बीजेपी अपने सहयोगियों को भाव नहीं देती है. विपक्ष ये भी कहता रहा है कि बीजेपी के कई सहयोगी दल एक-एक सांसद वाले हैं. एनडीए से शिरोमणि अकाली दल और टीडीपी पहले ही अलग हो चुके हैं. बिहार में नीतीश कुमार ने भी एनडीए का साथ छोड़ दिया और उसके बाद से ही वह बीजेपी के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने की मुहिम में जुट गए, जिसके बाद ‘इंडिया अलायंस’ अस्तित्व में आया.

महाराष्ट्र की बात करें तो शिवसेना ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया था और कांग्रेस-एनसीपी से हाथ मिला लिया था. हालांकि, यहां शिवसेना के दो फाड़ होने के बाद एक धड़े के समर्थन ने बीजेपी की सत्ता में वापसी जरूर करा दी. दूसरी तरफ, एनसीपी नेता अजित पवार के शिंदे सरकार में शामिल होने से भी पार्टी को मजबूती जरूर मिली है. लेकिन बात अगर दक्षिण भारतीय राज्य की करें तो अन्नाद्रमुक ने फिलहाल यहां सियासी जमीन तैयार करने की बीजेपी की कोशिशों को झटका जरूर दिया है.

-भारत एक्सप्रेस



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