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Israel Hamas War: UN में जॉर्डन का सीजफायर प्रस्ताव, चीन-पाक का समर्थन… भारत ने क्यों बनाई वोटिंग से दूरी?

योजना पटेल ने गाजा में संघर्ष से नागरिकों पर पड़ने वाले नुकसान के बारे में भी बात की और कहा, “इस मानवीय संकट को संबोधित करने की जरूरत है.” उन्होंने कहा, “भारत बिगड़ती सुरक्षा स्थिति और जारी संघर्ष में नागरिकों की जान के आश्चर्यजनक नुकसान को लेकर बेहद चिंतित है.”

योजना पटेल ( फोटो- सोशल मीडिया)

योजना पटेल ( फोटो- सोशल मीडिया)

Israel Hamas War: हमास के साथ जारी जंग के बीच इजरायल ने जमीनी अभियानों को तेज करने की घोषणा कर दी है. अब इजरायली सेना हवा के साथ-साथ जमीन से भी हमास के ठिकाने पर वार कर रही है. इन सबके बीच संयुक्त राष्ट्र महासभा में संघर्ष विराम के लिए एक प्रस्ताव लाया गया, जिस पर वोटिंग करने से भारत ने साफ-साफ मना कर दिया है. दरअसल, संघर्ष विराम को लेकर जॉर्डन की ओर से यूएन में सीजफायर प्रस्ताव पेश किया गया. इस प्रस्ताव का उद्देश्य गाजा में मानवीय संघर्ष पर विराम लगाना था. हालांकि इसमें आतंकी समूह हमास का जिक्र नहीं किया गया, जिसके बाद भारत ने इस प्रस्ताव पर मतदान से इनकार कर दिया.

सीजफायर प्रस्ताव में हमास के आतंकियों की निंदा नहीं की गई थी. हालांकि, भारत ने इसमें संशोधन के लिए कहा लेकिन भारत के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया. इसके बाद भारत ने वोट न करने का फैसला किया. UN में भारत की उप स्थायी प्रतिनिधि योजना पटेल ने मतदान के बाद कहा, ”इजरायल में 7 अक्टूबर को हुए आतंकी हमले चौंकाने वाले थे और निंदा के लायक है. दुनिया को आतंकी कृत्यों के किसी भी औचित्य पर विश्वास नहीं करना चाहिए. आइए हम मतभेदों को दूर रखें, एकजुट हों और आतंकियों के प्रति शून्य सहिष्णुता का दृष्टिकोण अपनाएं.”

बता दें कि इजरायल-हमास के बीच संघर्ष विराम और गाजा के लोगों को सहायता प्रदान करने का आह्वान करने वाला प्रस्ताव 120 वोटों से पारित हुआ, जबकि इसके खिलाफ 14 वोट पड़े और 45 अनुपस्थित रहे. संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस प्रस्ताव को दो तिहाई बहुमत मिला. वहीं भारत ने कनाडा के प्रस्ताव का समर्थन भी किया. इस प्रस्ताव में आतंकी समूह हमास का जिक्र था. लेकिन यह पारित होने में विफल रहा. इसके समर्थन में केवल 88 वोट मिले, जबकि इसके खिलाफ 54 वोट पड़े, जिसमें 23 अनुपस्थित रहे.

यह भी पढ़ें: नागरिकों को हथियार, हवा के साथ-साथ जमीन से भी वार… अब ‘अंतिम युद्ध’ लड़ने की तैयारी में इजरायल!

भारत ने वोट देने से इनकार क्यों किया?

योजना पटेल ने कहा, “आतंकवाद एक घातक बीमारी है और इसकी कोई सीमा, राष्ट्रीयता या नस्ल नहीं होती.” उन्होंने कहा, “हमास के हमले इतने बड़े पैमाने और तीव्रता के थे कि यह बुनियादी मानवीय मूल्यों का अपमान है.” उन्होंने कहा कि राजनीतिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के साधन के रूप में हिंसा, अंधाधुंध क्षति पहुंचाती है और किसी भी टिकाऊ समाधान का मार्ग प्रशस्त नहीं करती है.”

योजना पटेल ने  कहा, “हमें उम्मीद है कि इस सभा के विचार-विमर्श से आतंक और हिंसा के खिलाफ एक स्पष्ट संदेश जाएगा और हमारे सामने मौजूद मानवीय संकट को संबोधित करते हुए कूटनीति और बातचीत की संभावनाओं का विस्तार होगा.” उन्होंने कहा कि हम इजरायल हमास से आग्रह करते हैं कि वे तनाव कम करें, हिंसा से बचें और शांति वार्ता को जल्द से जल्द फिर से शुरू करने के लिए स्थितियां बनाने की दिशा में काम करें. हमें उम्मीद है कि इस सभा के विचार-विमर्श से आतंक और हिंसा के खिलाफ एक स्पष्ट संदेश जाएगा और हमारे सामने मौजूद मानवीय संकट को संबोधित करते हुए कूटनीति और बातचीत की संभावनाओं का विस्तार होगा. ”

योजना पटेल ने गाजा में संघर्ष से नागरिकों पर पड़ने वाले नुकसान के बारे में भी बात की और कहा, “इस मानवीय संकट को संबोधित करने की जरूरत है.” उन्होंने कहा, “भारत बिगड़ती सुरक्षा स्थिति और जारी संघर्ष में नागरिकों की जान के आश्चर्यजनक नुकसान को लेकर बेहद चिंतित है.” भारत का पक्ष रख रही योजना पटेल ने कहा, “गाजा में चल रहे संघर्ष में हताहतों की संख्या एक गंभीर चिंता का विषय है. नागरिक विशेषकर महिलाएं और बच्चे अपनी जान देकर इसकी कीमत चुका रहे हैं.”

प्रस्ताव के पक्ष और विपक्ष में मतदान

बता दें कि अरब समूह जॉर्डन की ओर से प्रस्तावित प्रस्ताव के सह-प्रायोजक चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश थे. पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि मुनीर अकरम ने मतदान से पहले संशोधन के खिलाफ बोलते हुए कहा कि इसमें “समता और संतुलन और निष्पक्षता” का अभाव है. उन्होंने कहा कि यदि हमास का नाम लिया जाना चाहिए, तो इजरायल का भी होना चाहिए. पाकिस्तान ने कहा कि हमने प्रस्ताव में सेफ कदम उठाया है. संशोधन के लिए मतदान करने वाले कई देशों ने संशोधन के बिना भी प्रस्ताव के लिए मतदान कर दिया.

-भारत एक्सप्रेस

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