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गुटबाजी, नाराजगी या कुछ और… एमपी में शिवराज के नाम का ऐलान क्यों नहीं कर पा रही बीजेपी?

Madhya Pradesh Assembly Elections 2023: तमाम दुविधाओं के बीच बीजेपी ने 39 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है, इनमें ज्यादातर वे सीटें हैं जहां पार्टी को पिछले चुनावों में हार का सामना करना पड़ा है.

Shivraj Cabinet Reshuffle

सीएम शिवराज सिंह चौहान (फोटो फाइल)

Madhya Pradesh Assembly Elections 2023: भारतीय जनता पार्टी मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनावों की तैयारियों में जुटी है. सीएम शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सरकार अपनी योजनाओं से लोगों को मिलने वाले लाभ गिना रही है, तो गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जैसे दिग्गज नेता भी किसी न किसी कार्यक्रम के बहाने राज्य के दौरे पर नजर आ रहे हैं और इस दौरान सीएम शिवराज सिंह चौहान की तारीफ कर रहे हैं. लेकिन दिलचस्प बात ये है कि मध्य प्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों में बीजेपी की जीत की स्थिति में सीएम कौन होगा, इसको लेकर तस्वीर जरूर साफ नहीं हो पा रही है. ये शायद ऐसा पहली बार हो रहा है कि विधानसभा चुनावों से पहले शिवराज सिंह चौहान के नाम को लेकर बीजेपी दुविधा में है. लेकिन ऐसा क्यों है? इसके पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं.

ऐसी चर्चाएं हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने का फैसला कर सकती है. पार्टी के भीतर गुटबाजी और टिकटों को लेकर खींचतान को कम करने की कोशिश के तहत पार्टी ये रणनीति अपना सकती है. पार्टी फोरम या सार्वजनिक तौर पर इस गुटबाजी की बात कोई नहीं करता है लेकिन अंदरखाने अलग-अलग गुट के नेता खुद को सीएम पद का दावेदार जरूर मान रहे हैं. इस स्थिति से निपटने के लिए बीजेपी सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने का फैसला कर सकती है.

पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव में जा सकती है बीजेपी!

मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों के बाद अगले साल लोकसभा चुनाव भी होने हैं. ऐसे में काफी हद तक राज्य विधानसभा चुनावों का असर लोकसभा चुनावों पर भी पड़ेगा. पार्टी हरगिज ये नहीं चाहेगी कि आपकी गुटबाजी और खींचतान का असर लोकसभा चुनावों पर पड़े. इस स्थिति से निपटने के लिए पार्टी पीएम मोदी के चेहरे को भी आगे कर सकती है. ये पहली बार नहीं होगा जब किसी विधानसभा चुनाव में पीएम मोदी के चेहरे पर बीजेपी चुनाव लड़े. पीएम मोदी राज्य और केंद्र को एक यूनिट के तौर पर एकजुट करते हैं. तो दूसरी तरफ, राज्य के साथ-साथ केंद्र की योजनाओं के जरिए भी वह मध्य प्रदेश में बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने में बना सकते हैं.

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ज्योतिरादित्य के खेमे के नेता भी बड़ी ‘टेंशन’

2018 के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी बहुमत से कुछ सीटों से दूर रह गई थी. प्रदेश में ‘सत्ता-विरोधी लहर’ के कांग्रेस के दावे के बावजूद बीजेपी की सीटों की संख्या और कांग्रेस की सीटों की संख्या में बड़ा अंतर नहीं था. दूसरी तरफ, ज्योतिरादित्य सिंधिया के बगावत करने के बाद 22 विधायकों का साथ मिला और बीजेपी ने राज्य में फिर से सरकार बना ली. लेकिन इससे बीजेपी की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं. अब पार्टी के सामने चुनौती ये है कि पुराने वफादारों को टिकट दिया जाए या ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ उन नेताओं को मौका दिया जाए जो कांग्रेस का साथ छोड़कर आए थे. हालांकि ज्योतिरादित्य के साथ आए कुछ नेताओं की कांग्रेस में घर वापसी भी हो गई है.

टिकट न मिलने से नाराज नेता

तमाम दुविधाओं के बीच बीजेपी ने 39 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है, इनमें ज्यादातर वे सीटें हैं जहां पार्टी को पिछले चुनावों में हार का सामना करना पड़ा है. कुछ सीटों पर पार्टी ने पुराने नेताओं पर भरोसा जताया है लेकिन 22 सीटों पर उम्मीदवार बदलकर नए चेहरों को मौका दिया है. इस वजह से इन सीटों पर बीजेपी को अपने नेताओं की नाराजगी का सामना भी करना पड़ रहा है. इनमें कुछ नेताओं ने टिकट न मिलने की स्थिति में निर्दलीय चुनाव लड़ने की बात कहकर पार्टी की मुश्किलें और बढ़ा दी है. ऐसे में अब विधानसभा चुनावों और फिर अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों को देखते हुए बीजेपी फूंक-फूंककर कदम रखना चाहती है.

-भारत एक्सप्रेस



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