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MP Election 2023: बीजेपी के बुजुर्ग विधायकों और मंत्रियों में टिकट को लेकर धुकधुकी, कहीं बगावत में तब्दील न हो जाए उम्र का फॉर्मूला

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव ( MP Assembly Election 2023) में बुजुर्ग नेताओं की धड़कनें तेज हो गई हैं. टिकट वितरण फॉर्मूले में 70 पार रिटायरमेंट की उम्र-सीमा ने इनकी बेचैनी बढ़ा दी हैं

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव ( MP Assembly Election 2023) में बुजुर्ग नेताओं की धड़कनें तेज हो गई हैं. टिकट वितरण फॉर्मूले में 70 पार रिटायरमेंट की उम्र-सीमा ने इनकी बेचैनी बढ़ा दी हैं. इस बार बुजुर्ग नेताओं की फेहरिस्त में ज्यादातर नाम कद्दावर जनप्रतिनिधियों के शामिल हैं. लिहाजा, नेताओं के साथ-साथ प्रदेश बीजेपी के लिए भी सिरदर्द बढ़ गया है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में चल रही चर्चा के मुताबिक बीजेपी नए चेहरों को टिकट देने का मन बना चुकी है और इसमें 65 से कम उम्र के नेताओं की संख्या अच्छी खासी है. खास बात ये है कि टिकट वितरण में पार्टी सर्वे का ज्यादा ख्याल रख रही है. मसलन, सर्वे के मुताबिक जो नेता जीत का माद्दा रखता हो, उसी को टिकट आवंटित किया जाएगा.

भले ही सर्वे के आधार पर टिकट का वितरण होने वाला हो, लेकिन जमीनी स्तर पर जनाधार वाले बुजुर्ग नेताओं की अनदेखी पार्टी के लिए भारी भी पड़ सकती है. कई ऐसी सीटें हैं जहां पर अभी भी 70 पार बुजुर्ग नेताओं का दबदबा कायम है. भले ही ये नेता चुनाव में बाजी मारे या न मारे, लेकिन अगर विद्रोह की चिंगारी उठी तो पार्टी के वोटों में बड़ा डेंट पड़ सकता है. राजनीति के सभी समीकरणों का आंकलन किया जाए तो बीजेपी के लिए उम्र सीमा का पैमाना उसके लिए ठीक नहीं है. क्योंकि, इससे अधिकांश सीटों पर विद्रोह का खतरा ज्यादा बढ़ जाएगा.

70 के पार इन नेताओं का दबदबा

बीजेपी के भीतर कई ऐसे कद्दावर नेता या बड़े नेताओं के नुमाइंदे हैं, जिनका टिकट कटने पर विद्रोह तय है. कई नेता ऐसे हैं जो 65 की उम्र के पार हैं और उनपर सर्वे के आधार पर टिकट कटने का खतरा मंडरा रहा है. पूर्व मंत्री तुलसी सिलावट को लेकर भी चर्चा तेज है. तुलसी ज्योतिरादित्य सिंधिया के काफी खास माने जाते हैं. हालांकि, अभी इनकी उम्र 65 वर्ष के आस-पास है. ऐसे में अगर इनका टिकट सुरक्षित रहता है तो 65 तक के बाकी नेताओं की उम्मीद बरकरार रहने वाली है. उम्र सीमा के फॉर्मूले के तहत गोपाल भार्गव पर खतरा है, लेकिन राजनीतिक समीकरण के आधार पर इनका भी टिकट काटना नामुमकिन सा दिखता है. उज्जैन उत्तर के विधायक पारस जैन भी 73 पार कर चुके हैं, लेकिन अभी भी टिकट की दौड़ में हैं. इसी प्रकार अजय बिश्नोई, हरजीत सिंह बब्बू, नागेंद्र सिंह, गौरीशंकर बिसेन और शरद जैन सरीखे नेता 70 की उम्र सीमा लगभग पार कर चुके हैं.

70 से कम उम्र वाले नेताओं की सूची तैयार

एक निजी न्यूज चैनल की एक खबर में दावा किया गया है कि मध्य प्रदेश में 70 से कम उम्र वाले नेताओं की सूची लगभग तैयार कर ली गई है. न्यूज चैनल ने बीजेपी के एक बड़े नेता के हवाले से नाम नहीं बताने की शर्त पर एक खबर प्रकाशित की है; जिसमें बताया गया है कि टिकट के लिए संगठन ने उन नेताओं की सूची तैयार की है जिनकी उम्र सीमा 65 वर्ष से कम है. लिहाजा, इस बात के सामने आने के बाद तमाम बुजुर्ग नेताओं ने अपनी-अपनी कसरत तेज कर दी है. गौरतलब है कि शिवराज सिंह के करीबी नेताओं को भी उम्र वाले फॉर्मूले का डर सता रहा है.

बुजुर्ग या युवा चेहरा?

बीजेपी संगठन की ओर से नए चेहरों को तरजीह दी जाती रही है, लेकिन मध्य प्रदेश में जिस तरह के चुनावी हालात बन रहे हैं, उसमें टिकट काटना पार्टी के लिए एक जोखिम भरा कदम साबित हो सकता है. जबकि, युवा नेताओं की भी एक बड़ी जमात टिकट की आस लगाए हुए है. जमीनी स्तर पर इनका भी प्रभाव और वर्चस्व दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा है. ऐसे में पार्टी हर फैसला सोच-समझकर लेने में यकीन करेगी. दूसरी ओर कांग्रेस भी संभावित बागी नेताओं पर नज़र बनाए हुए है. कांग्रेस के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक उनका संगठन पहले अपने समर्पित कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता देगा. लेकिन, इससे भी बड़ी प्राथमिकता बीजेपी को हराना है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि चुनावी समर में जब युद्ध प्रचंड होगा तो कई महारथियों के घोड़े पाला बदल सकते हैं.

-भारत एक्सप्रेस

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