दिल्ली कूच की तैयारी में किसान.
महेंद्र यादव
नोएडा में किसानों का आंदोलन लगातार जारी है. किसानों को गिरफ्तार किया जाता है, लेकिन उनकी रिहाई के बाद वे फिर से धरने पर बैठ जाते हैं. पहले यह आंदोलन दलित प्रेरणा स्थल पर चल रहा था, लेकिन वहां पुलिस की सख्ती के बाद किसान अब ग्रेटर नोएडा के यमुना एक्सप्रेसवे के जीरो पॉइंट पर डटे हुए हैं.
इन किसानों का कहना है कि वे दिल्ली कूच करेंगे और उनकी मांगें पूरी होने तक वे पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. अधिकारियों और पुलिस के समझाने का भी उन पर कोई असर नहीं हो रहा है. किसान नेताओं को पुलिस हिरासत में लिया जा रहा है, लेकिन जैसे ही उन्हें रिहा किया जाता है, वे फिर से धरने पर लौट आते हैं.
इस आंदोलन को अब विपक्षी दलों का भी समर्थन मिलने लगा है. बीएसपी नेता आकाश आनंद ने भी दलित प्रेरणा स्थल पर किसानों के समर्थन में पहुंचकर अपनी एकजुटता दिखाई. इसके अलावा, यमुना एक्सप्रेसवे पर किसानों का धरना लगातार जारी है, और पुलिस से झूमाझटकी भी हो रही है.
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक वे धरने से नहीं उठेंगे. किसान इस संघर्ष में पूरी तरह से एकजुट हैं और किसी भी दबाव के आगे नहीं झुकने का संकल्प लिया है.
बीजेपी नेताओं का आरोप है कि यह आंदोलन कांग्रेस के भड़कावे पर हो रहा है और कांग्रेस हमेशा से किसानों के खिलाफ रही है. बीजेपी का यह भी कहना है कि किसानों ने इस आंदोलन के लिए अनुमति नहीं ली है, इसलिए उन्हें रोका जा रहा है. हरियाणा सरकार के मंत्री अनिल विज ने भी कहा कि किसानों को कानून के तहत आंदोलन करने से पहले अनुमति लेनी चाहिए.
हाल ही में पुलिस ने भूमिगत किसान नेता रूपेश वर्मा को गिरफ्तार कर लिया, और किसान नेता विकास प्रधान भी गिरफ्तार किए गए हैं. ग्रेटर नोएडा में पुलिस की तैनाती को देखते हुए यह क्षेत्र एक तरह से छावनी में तब्दील हो चुका है.
भारतीय किसान परिषद ने किसानों को एक बार फिर जीरो पॉइंट पर आने के लिए बुलाया था, और संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य इस बुलावे पर अपनी मांगों को लेकर वहां पहुंचने की कोशिश कर रहे थे.
किसानों ने कहा कि यदि उन्हें उनके साथियों के साथ छोड़ा नहीं गया, तो उन्हें भी जेल में डाल दिया जाए. लेकिन पुलिस ने बीटा-2 क्षेत्र के परिचौक के पास जीरो पॉइंट पहुंचने से पहले ही किसानों को रोक लिया और उन्हें जबरदस्ती बसों में बैठाकर पुलिस लाइन ले गई. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, महामाया और राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल पर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है.
किसानों की प्रमुख मांगें:
1. MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की गारंटी
2. कर्जा माफी
3. पेंशन
4. लखीमपुर खीरी कांड के आरोपियों को सजा
5. आंदोलन में शहीद हुए किसानों के परिवारों को मुआवजा
6. भूमि अधिग्रहण पर किसानों को चार गुना मुआवजा
7. विश्व व्यापार संगठन और मुक्त व्यापार समझौतों से दूरी बनाकर घरेलू किसानों के हितों की सुरक्षा
8. मनेरा की दिहाड़ी बढ़ाने समेत कुल 12 प्रमुख मांगें
किसान इस आंदोलन को लेकर कई महीनों से संघर्षरत हैं. किसान नेता राकेश टिकैत ने भी हाल ही में कहा था कि नोएडा में शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे किसानों को जेल में डाल दिया गया, जबकि वे अपनी जमीन का मुआवजा मांग रहे थे. उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार से सवाल उठाया कि अगर बातचीत से समस्याओं का समाधान हो सकता है, तो फिर विरोध प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं?
किसानों का यह संघर्ष उनके अधिकारों के लिए जारी है, और जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक वे शांतिपूर्ण तरीके से अपनी आवाज उठाते रहेंगे.
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