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MP Election 2023 : बंगाल मॉडल से मध्य प्रदेश जीतने की तैयारी, विधानसभा चुनावों में पहले भी किया जा चुका है ऐसा एक्सपेरिमेंट

फग्गन सिंह कुलस्ते आदिवासी नेता हैं. इनकी अपने समाज में अच्छी पकड़ है, जिसकी बदौलत जीत का सिलसिला जारी रखा है. राज्य की 47 विधानसभा सीटें आदिवासियों के लिए आऱक्षित हैं और 100 से ज्यादा सीटों पर आदिवासी वोटर हार-जीत का फैसला करते हैं.

MP Election 2023 ( विजयवर्गीय, पटेल और तोमर)

MP Election 2023 ( विजयवर्गीय, पटेल और तोमर)

MP Election 2023 : मध्य प्रदेश चुनाव के लिए भाजपा के 39 उम्मीदवारों की दूसरी सूची हैरान करने वाली है. पार्टी ने चुनावी रण में तीन केंद्रीय मंत्रियों, चार सांसदों और एक राष्ट्रीय महासचिव को उतारा है. दरअसल, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते अब मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ेंगे, साथ ही सांसद राकेश सिंह, गणेश सिंह, रीति पाठक और उदय प्रताप सिंह के अलावा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी चुनाव लड़ेंगे. सियासी जानकारों का कहना है कि बीजेपी मध्य प्रदेश में बंगाल मॉडल ला रही है. लेकिन सवाल ये भी उठ रहा है कि ऐसा क्या हो गया कि भाजपा को केंद्र से नेताओं को राज्य की ओर भेजना पड़ रहा है. आइये जानते हैं क्या है बीजेपी का बंगाल मॉडल और पार्टी ने इन 7 रणधीरों को क्यों दिया है मध्य प्रदेश की जिम्मेदारी?

जब बंगाल में हुआ था ऐसा प्रयोग

बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब भाजपा ने ऐसा प्रयोग किया हो. इससे पहले भी राज्य के चुनावों में पार्टी ने सांसदों, मंत्रियों पर दांव लगाया है. बीजेपी, यूपी से लेकर त्रिपुरा तक में ये प्रयोग करके देख चुकी है. साल 2022 में यूपी में अखिलेश के सामने बीजेपी ने एसपी सिंह बघेल को करहल सीट से मैदान में उतारा था. बघेल चुनाव तो हार गए लेकिन अखिलेश को बहुत मजबूत चुनौती दी थी. वहीं पश्चिम बंगाल में भी पार्टी ने 5 सांसदों को विधायकी लड़ाया था. सांसद बाबुल सुप्रियो, लॉकेट चटर्जी और स्वपन दास गुप्ता चुनाव हार गए. ये उम्मीदवार तो चुनाव हार गए लेकिन आसपास के क्षेत्रों में इनका प्रभाव दिखा. पार्टी की राज्य में सीटें बढ़ गईं.

मुख्यमंत्री पद के दावेदार

माना जा रहा है कि अगर भाजपा मध्य प्रदेश चुनाव जीतती है तो केंद्र ने मुख्यमंत्री पद के लिए मैदान खुला कर दिया है. अब तोमर, पटेल और विजयवर्गीय प्रबल दावेदार हैं. शिवराज सिंह चौहान 20 साल से सीएम हैं, लेकिन 2018 में उन्हें और पार्टी को सत्ता से बेदखल कर दिया गया था. कहीं न कहीं पार्टी को चौहान को लेकर चिंता है. शायद यही वजह है कि अभी तक सीएम पद का ऐलान नहीं किया गया है. जानकारी के मुताबिक, बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय इंदौर-1 विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे. 2018 के चुनावों में, कांग्रेस ने भाजपा की 109 सीटों के मुकाबले 114 सीटें जीतीं और पूर्व में कमल नाथ के नेतृत्व में सरकार बनी. मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रति वफादार विधायकों ने विद्रोह किया राज्य में बीजेपी की एक बार फिर से सरकार शुरू हो गई.

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भाजपा के नैया को पार लगाने वाले उम्मीदवार?

बता दें कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को दिमनी से टिकट दिया गया है. केंद्रीय राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल को नरसिंहपुर से और राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को निवास से प्रत्याशी बनाया गया है. इसके अलावा जबलपुर के सांसद राकेश सिंह, सीधी की सांसद रीति पाठक, सतना के सांसद गणेश सिंह, होशंगाबाद के सांसद उदय प्रताप सिंह को विधायकी का टिकट दिया गया है. सबसे दिलचस्प बात ये है कि जिन 4 सांसदों को मध्य प्रदेश की जिम्मेदारी दी गई है. वो पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ने जा रहे हैं. वहीं केंद्रीय मंत्री तोमर करीब 20 साल बाद चुनाव लड़ेंगे.

प्रह्लाद पटेल

मध्य प्रदेश चुनाव के लिए प्रह्लाद पटेल को नरसिंहपुर से टिकट दिया गया है. वे 5 बार के सांसद और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और जल शक्ति राज्य मंत्री हैं. 2003 में बाजपेयी सरकार में कोयला राज्य मंत्री रह चुके हैं. प्रहलाद पटेल 1889 में पहली बार लोकसभा का चुनाव जीत संसद पहुंचे. 1996 में ग्यारहवीं लोक सभा के लिए दोबारा चुने गए। 1999 में तीसरी बार लोकसभा के लिए चुने गए, इस दौरान वो लोकसभा की विभिन्न समितियों के सदस्य रहे. ये राज्य के बडे ओबीसी नेता है, जो लोधी राजपूत समुदाय से आते हैं.

फग्गन सिंह कुलस्ते

फग्गन सिंह कुलस्ते आदिवासी नेता हैं. इनकी अपने समाज में अच्छी पकड़ है, जिसकी बदौलत जीत का सिलसिला जारी रखा है. राज्य की 47 विधानसभा सीटें आदिवासियों के लिए आऱक्षित हैं और 100 से ज्यादा सीटों पर आदिवासी वोटर हार-जीत का फैसला करते हैं. ऐसे में बीजेपी ने फग्गन सिंह कुलस्ते को चुनावी मैदान में उतारकर कमजोर सीटों पर जीत का परचम लहराने की कोशिश की है.

-भारत एक्सप्रेस

 

 



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