Bharat Express

दीपक मिश्रा




भारत एक्सप्रेस


साल 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने विजयादशमी के दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS की शुरुआत की थी. नागपुर के एक छोटे से कमरे से शुरू हुआ संघ अपने 100 वर्ष में विराट रूप ले चुका है.

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद सीएम देवेंद्र फडणवीस और उद्धव ठाकरे की पहली बार मुलाकात हुई. वैसे विरोधी नेताओं के बीच मुलाकात कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन उद्धव ठाकरे जिस तरह से अचानक देवेंद्र फडणवीस से मिलने पहुंचे, वो वाकई में हैरान करने वाली है.

इतिहासकार और प्रधानमंत्री म्यूजियम और लाइब्रेरी के सदस्य रिजवान कादरी ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की चिट्ठियों को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को एक खत लिखा है, जिसमें उन चिट्ठियों को वापस लौटाए जाने की मांग की है.

बीजेपी से अलग होने के बाद मुख्यमंत्री बनने के लिए उद्धव ठाकरे ने भले कांग्रेस-एनसीपी के साथ हाथ मिला लिया, लेकिन उन्हें उस तरह का भाव मिला ही नहीं, जिसकी वो उम्मीद करते थे.

आजादी के बाद देशभर में फैली वक्त संपत्तियों के प्रबंधन के लिए साल 1954 में संसद ने वक्फ एक्ट पास किया. इसके बाद से ही वक्फ बोर्ड एक सरकारी संस्था की तरह काम करने लगी.

बिहार के समस्तीपुर के रहने वाले अतुल सुभाष ने अपनी पत्नी निकिता सिंघानिया और सास निशा सिंघानिया पर पैसों के लिए प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए मौत को गले लगा लिया.

प्रस्ताव को राज्यसभा के बाद लोकसभा से भी पास कराना होगा. लेकिन आंकड़े विपक्ष के पक्ष में गवाही नहीं दे रहे हैं. राज्यसभा में कुल सदस्यों की संख्या 245 हैं. उच्च सदन में मौजूदा सदस्यों की संख्या 234 है. इसमें बीजेपी के अकेले 96 सदस्य हैं.

Delhi Assembly Election 2025: देश की राजधानी दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने में अब महज कुछ महीनों का वक्त बाकी रह गया हैं. माना जा रहा है कि 70 विधानसभा सीटों के लिए अगले साल फरवरी में चुनाव हो सकते हैं.

एक वक्त था जब क्रिकेट की दुनिया में सचिन-कांबली का डंका बज रहा था. दोनों ही अविश्वसनीय प्रतिभा के धनी थे. जहां सचिन आगे चलकर क्रिकेट के भगवान कहलाए वहीं कांबली का करियर उनकी बुरी आदतों के चलते अर्श से फर्श पर आने लगा.

एक वक्त था जब महाराष्ट्र में शरद पवार की तूती बोलती थी, मगर इस चुनाव उनके सिर्फ 10 उम्मीदवार ही जीतने में कामयाब हुए. अपनी चुनावी चालों से विरोधियों को मात देने में महारत रखने वाले पवार के हाथों से अब राजनीतिक गोटियां लगातार फिसलती दिखने लगी हैं.