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Explainer: वक्फ बोर्ड के अधिकारों को लेकर विवाद क्यों, आखिर मोदी सरकार को Waqf Board Act को बदलने की जरूरत क्यों पड़ी ?

आजादी के बाद देशभर में फैली वक्त संपत्तियों के प्रबंधन के लिए साल 1954 में संसद ने वक्फ एक्ट पास किया. इसके बाद से ही वक्फ बोर्ड एक सरकारी संस्था की तरह काम करने लगी.

Waqf Board JPC

वक्फ बोर्ड के अधिकारों को लेकर विवाद क्यों?

केंद्र सरकार ने 8 अगस्त, 2024 को लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल 2024 पेश किया. संसद में इस बिल के पेश होते ही देश की सबसे बड़ी, अमीर और ताकतवर मुस्लिम संस्था वक्फ बोर्ड एक बार फिर से चर्चा के केंद्र में आ गया है. साथ ही इसको लेकर सियासी घमासान भी मचा हुआ है. विपक्ष का कहना है कि चूंकि लोकसभा चुनाव में मुसलमानों ने बीजेपी को वोट नहीं दिया, जिससे उसकी सीटों में कमी आ गई, बस, इसी का बदला लेने के लिए वक्फ संशोधन बिल लाया गया है. तो उधर कई मुस्लिम संगठनों ने भी एक सुर से इस बिल का विरोध किया है.

ऑल इंडिया मजलिस एत्तेहादुल मुस्लिमीन यानी AIMIM के प्रमुख असदुद्दीव ओवैसी का आरोप है कि मोदी सरकार वक्फ संपत्तियां खत्म और उस पर कब्जा करना चाहती है. हालांकि कुछ मुस्लिम संगठन ऐसे भी हैं, जिन्होंने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है. उनका कहना है कि वक्फ बोर्ड पर कुछ खास लोगों का कब्जा हो गया है, जो अपने फायदे के लिए वक्फ की संपत्तियों का इस्तेमाल कर रहे हैं. फिलहाल ये बिल ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी यानी JPC के पास भेजी गई है, जिसको लेकर कई दौर की बैठकें और चर्चा हो चुकी है. साथ ही इस पर रायशुमारी भी कराई जा रही है. अब ओवैसी के आरोपों में कितना दम है ? आखिर मोदी सरकार को वक्फ बोर्ड एक्ट में बदलाव की जरूरत क्यों महसूस हुई ? क्या सच में वक्फ बोर्ड अपने कानूनों की आड़ में लोगों की जमीनों और संपत्तियों पर अपना कब्जा जमा रही है ? वक्फ बोर्ड के अधिकारों को लेकर विवाद क्यों है ? इन सभी सवालों के जवाब हम तलाशने की कोशिश करेंगे, लेकिन उससे पहले जानते हैं कि आखिर वक्फ का मतलब होता क्या है ?

वक्फ क्या होता है ?

हम में से अधिकांश लोग वक्फ शब्द से परिचित तो होंगे, लेकिन ये वक्फ होता क्या है, इसके बारे में शायद ही किसी के पास पुख्ता जानकारी हो. तो आपको बता दें कि वक्फ शब्द अरबी भाषा के ‘वकुफा’ शब्द से बना है, जिसका मतलब ठहरना होता है. जनकल्याण के लिए समर्पित संपत्ति को वक्फ कहा जाता है. इस्लामिक भाषा में समझने की कोशिश करें, तो वक्फ का मतलब दान होता है. इसके तहत कोई भी शख्स अपनी चल, अचल संपत्ति को दान कर सकता है, बशर्ते इसका इस्तेमाल लोगों की भलाई के लिए यानी जनकल्याण के लिए हो. दान में मिली संपत्ति का इस्तेमाल गरीब और जरूरतमंदों की मदद के लिए, उनकी पढ़ाई-लिखाई की व्यवस्था, मस्जिदों के निर्माण, मरम्मत, रख-रखाव और अन्य जनहित के कामों में किया जाता है.

वक्फ बोर्ड को संपत्ति दान करने वालों को ‘वाकिफ’ कहते हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो कोई व्यक्ति जब भी अपनी संपत्ति का दान वक्फ बोर्ड को करता है, तो वह अल्लाह का हो जाता है. इसके बाद उस संपत्ति को किसी को भी हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है. इस्लाम में आमदनी और संपत्ति का एक हिस्सा गरीब-निर्धन और मानवता के कामों के लिए देने का रिवाज रहा है. भारत में दिल्ली सल्तनत के समय से ही वक्फ की संपत्तियों का जिक्र मिलता है. सुल्तान मुइजुद्दीन सैम गौर ने मुल्तान की जामा मस्जिद को दो गांव समर्पित किए थे. जैसे-जैसे दिल्ली सल्तनत और इस्लामी राजवंश भारत में फले-फूले, वक्फ संपत्तियां बढ़ती चली गईं.

वक्फ बोर्ड क्या है ?

वक्फ की गई संपत्ति की देख-रेख यानी प्रबंधन का काम वक्फ बोर्ड करता है. वक्फ के तहत दान दी गयी संपत्ति के प्रबंधन, अधिग्रहण, नियमन और इस्तेमाल के लिए सरकार की ओर से गठित बोर्ड को ही वक्फ बोर्ड कहा जाता है. देश में शिया और सुन्नी दो तरह के वक्फ बोर्ड हैं. वक्फ की संपत्ति का प्रबंधन और इसके संचालन करने के लिए देश भर में जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर तक वक्फ बोर्ड बनाए गए हैं. वक्फ बोर्ड में संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन जरूरी होती है. राज्यों में बोर्ड का नेतृत्व अध्यक्ष करता है. वक्त बोर्ड संपत्तियों के रख-रखाव और उससे होने वाली आय का इस्तेमाल करते हैं. देशभर में बने कब्रिस्तान भी वक्फ भूमि का हिस्सा होते हैं. राज्यों के वक्फ बोर्डों के साथ तालमेल और दिशा-निर्देश के लिए केंद्र सरकार ने सेंट्रल वक्फ काउंसिल बनाया हुआ है. फिलहाल पूरे देश में करीब 30 वक्फ बोर्ड संचालित हो रहे है.

भारत में वक्फ बोर्ड कब बना ?

आजादी के बाद देशभर में फैली वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए साल 1954 में संसद ने वक्फ एक्ट पास किया. इसके बाद से ही वक्फ बोर्ड एक सरकारी संस्था की तरह काम करने लगी. वक्फ बोर्ड के तहत वक्फ की सारी संपत्तियां आ गईं. कानून लागू होने के एक साल बाद 1955 में वक्फ एक्ट में संशोधन कर राज्य स्तर पर वक्फ बोर्ड बनाने का प्रावधान किया गया. इसके बाद साल 1995 में तत्कालीन पीवी नरसिम्हा राव की कांग्रेस सरकार ने एक्ट में संशोधन किया और वक्फ बोर्ड को असीमित शक्तियां मिल गईं. वक्फ एक्ट 1995 का सेक्शन 3(R) के मुताबिक, मुस्लिम कानून के मुताबिक कोई भी संपत्ति, किसी धार्मिक उद्देश्य के लिए पवित्र या चेरिटेबल मान लिया जाए, तो संपत्ति वक्फ हो जाएगी. वक्फ एक्ट 1995 का आर्टिकल 40 के मुताबिक इस जमीन पर किसका हक है, ये वक्फ का सर्वेयर और वक्फ बोर्ड तय करेगा. 1995 में बने नया वक्फ बोर्ड अधिनियम के तहत हर राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में वक्फ बोर्ड बनाने की अनुमति दी गई. इसके बाद साल 2013 में वक्फ एक्ट में संशोधन किए गए. जिससे वक्फ को असीमित और पूर्ण स्वायत्तता मिली. फिलहाल इसी व्यवस्था के तहत वक्फ बोर्ड काम कर रहा है.

वक्फ बोर्ड के अधिकारों पर विवाद क्यों ?

वक्फ बोर्ड एक्ट 1995 के सेक्शन 40 के तहत अगर वक्फ बोर्ड को लगता है कि किसी सम्पत्ति पर उसका हक है, तो वो उस पर स्वत: संज्ञान लेकर सम्पति की जानकारी इकट्ठा कर उस पर फैसला सुनाता है. अगर किसी की संपत्ति वक्फ की बता दी जाती है, तो उसके खिलाफ कोर्ट में अपील नहीं की जा सकती है. इसके लिए संपत्ति के मालिक को वक्फ बोर्ड में अपील करनी होती है. खास बात ये है कि अगर वक्फ बोर्ड का फैसला सपत्ति के असली मालिक के खिलाफ आता है, तो इस फैसले को भी कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती है. इसके लिए वक्फ ट्रिब्यूनल का रुख किया जा सकता है. लेकिन ट्रिब्यूनल का फैसला अंतिम होगा. वक्फ एक्ट का सेक्शन 85 के मुताबिक ट्रिब्यूनल के फैसले को हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती नहीं दी जा सकती है.

वक्फ बोर्ड के पास देश में कितनी संपत्ति ?

फिलहाल देश भर में वक्फ बोर्ड के पास 9.4 लाख एकड़ में फैली 8 लाख 70 हजार से ज्यादा संपत्तियां हैं. जिसका मूल्य 1 लाख 20 हजार करोड़ रुपये है. वक्फ बोर्ड के तहत 3,56,051 वक्फ संपत्तियां रजिस्टर्ड हैं. वक्फ बोर्ड के अंतर्गत 8,72,328 अचल, तो करीब 16,713 चल संपत्तियां रजिस्टर्ड हैं. वक्फ बोर्ड के पास अब तक 3,30,000 डिजिटाइज्ड रिकॉर्ड हैं. इसके साथ ही वक्फ बोर्ड भारतीय रेलवे 33 लाख एकड़ और सेना 17 लाख एकड़ के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा 9.4 लाख एकड़ का मालिक है. देश भर में वक्फ बोर्ड के पास यूपी में सबसे ज्यादा संपत्ति है. यूपी में सुन्नी बोर्ड के पास कुल 2 लाख 10 हजार 239, तो शिया बोर्ड के पास 15 हजार 386 संपत्तियां हैं और हर साल इनकी संपत्तियों में इजाफा हो रहा है.

वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर विवाद

वक्फ संपत्तियों को लेकर कई विवाद भी हैं. देश भर में कुल 994 संपत्तियों पर वक्फ के अवैध अतिक्रमण जानकारी सामने आ रही है. वक्फ बोर्ड की कुल संपत्तियों में से 73 हजार से ज्यादा संपत्तियां ऐसी हैं, जिन पर विवाद है.

1. गुजरात वक्फ बोर्ड ने द्वारका में बेट द्वारका के दो द्वीपों पर अपना दावा किया था, इसको लेकर वक्फ बोर्ड की ओर से गुजरात हाई कोर्ट में अपील दायर की गई थी, लेकिन कोर्ट ने ये कहते हुए याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया था कि वक्फ बोर्ड कृष्ण नगरी द्वारका की जमीन पर कैसे दावा कर सकता है.

2. सूरत की शिव सोसायटी में रहने वाले एक शख्स ने अपने प्लॉट को वक्फ बोर्ड को दे दिया, जिसके बाद लोगों ने यहां नमाज पढ़ना शुरू कर दिया. इस पर भी विवाद जारी है.

3. गुजरात वक्फ बोर्ड ने सूरत नगर निगम की बिल्डिंग भी पर दावा ठोक दिया था.

4 बेंगलुरु के ईदगाह ग्राउंड पर भी वक्फ बोर्ड ने दावा ठोक दिया और ये दावा किया कि ये साल 1850 से ही वक्फ की संपत्ति है और हमेशा रहेगी. हालांकि सरकार ने इस जमीन को किसी मुस्लिम संगठन को नहीं देने की बात कही थी.

5. वक्फ बोर्ड ने तो तमिलनाडु के तिरुचेंतुरई गांव की पूरी जमीन को ही वक्फ की संपत्ति घोषित कर दिया है. वक्फ की संपत्ति होने के चलते यहां की जमीन की खरीद-बिक्री पर रोक है. हालांकि विवाद बढ़ने के बाद अल्पसंख्यक मंत्रालय ने किसी भी तरह के लेन-देन पर रोक लगा दी है.

विवादित संपत्तियों की ये एक बानगी भर है. इसके अलावा भी कई ऐसी संपत्तियां हैं, जिस पर वक्फ बोर्ड और अपना दावा कर रहा है और उसको लेकर विवाद. वक्फ की जमीन के मालिकाना हक से जुड़ी करीब 58 हजार से ज्यादा याचिकाएं वक्फ असेट मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया यानी WAMSI पोर्टल पर फाइल हुई है. करीब 12.70 हजार के ज्यादा केस अलग-अलग प्रदेशों के वक्फ बोर्ड में पेंडिंग है. करीब 18 हजार से ज्यादा केस वक्फ ट्रिब्यूनल में पेंडिंग है. वक्फ बोर्ड को लेकर करीब 165 केस हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी लंबित है.

वक्फ एक्ट में क्या बदलाव चाहती है सरकार ?

रिपोर्ट के मुताबिक मोदी सरकार सरकार वक्फ बोर्ड एक्ट को बदलने के मूड में है और मौजूदा वक्फ बोर्ड एक्ट में करीब 40 संशोधन करना चाहती है. वक्फ बोर्ड में संभावित बदलाव को लेकर जो जानकारी सामने आ रही है, उसके मुताबिक बोर्ड में अब 2 महिला और अन्य धर्म के 2 लोगों को भी शामिल करने का प्रावधान किया जाएगा. अब तक बोर्ड में दूसरे धर्म के लोगों की एंट्री पर पाबंदी रही है. जिला प्रशासन के समक्ष वक्फ की संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया जाएगा. साथ ही कोई संपत्ति वक्फ की है या नहीं, ये तय करने का हक कोर्ट को भी दिया जाएगा. इसके अलावा वक्फ की संपत्तियों का अनिवार्य वेरिफिकेशन भी किया जाएगा.

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नए बिल में संपत्ति मालिक को ट्रिब्यूनल के अलावा रेवेन्यू कोर्ट, सिविल कोर्ट और हाईकोर्ट में भी अपील का अधिकार होगा. अब तक संपत्ति के विवाद में वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसले को आखिरी माना जाता था, लेकिन अब ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में जाने का भी अधिकार होगा. अब तक इस्लामिक मकसद से इस्तेमाल होने वाली प्रॉपर्टी अपने आप वक्फ की मान ली जाती थी, लेकिन नए बिल के मुताबिक अब प्रॉपर्टी के दान करने पर ही वक्फ का माना जाएगा, भले ही उस पर कोई मस्जिद क्यों ना हो.

-भारत एक्सप्रेस



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