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2014 से 2024 तक पीएम मोदी ने अपने भाषणों से ऐसे सेट किया भारत के विकास का एजेंडा, साल दर साल हुआ बदलाव

PM Modi speeches on Independence Day: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 78वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लगातार 11वीं बार ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर पर तिरंगा फहराया. उन्होंने आज स्वतंत्रता दिवस पर अब तक का अपना सबसे लंबा भाषण भी दिया.

Independence Day 2024 pm modi

साल दर साल: स्वतंत्रता दिवस पर ऐसे बदले पीएम मोदी के परिधान

Independence Day 2024 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को 78 वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 11वीं बार ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर पर तिरंगा फहराया. उन्होंने स्वतंत्रता दिवस पर अब तक का अपना सबसे लंबा 98 मिनट का भाषण दिया. साल 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने 65 मिनट तक देशवासियों को संबोधित किया था.

साल 2014 से लेकर 2024 तक पीएम मोदी ने अपने भाषण में हर बार जो बातें कहीं, उसने भारत के भविष्य के विकास के एजेंडे की तस्वीर जनता के सामने रखी.

MODI PUTIN AND BIDEN

2014 में उठाया महिला सशक्तिकरण का मुद्दा

साल 2014 में पीएम मोदी ने अपने पहले भाषण में महिला सशक्तिकरण का मुद्दा उठाया था. उन्होंने अपने भाषण में कहा था कि हर मां-बाप से पूछना चाहता हूं किसी की 10 साल या 12 साल की बेटी होती है तो मां-बाप चौंकन्ने रहते हैं, हर बात पर पूछते हैं कहां जा रही हो, कब आओगी, पहुंचने के बाद फोन करना. बेटियों से मां-बाप सैकड़ों सवाल पूछते हैं लेकिन क्या कभी मां-बाप ने बेटे से ये सारे सवाल पूछने की हिम्मत की है.

2015 में देश को गरीबी से उबारने की बात

2015 के भाषण में पीएम मोदी ने कहा था कि गरीब के प्रति हमारा देखने का भाव ठीक नहीं है. राष्ट्र की इस कमी को सवा सौ करोड़ देशवासियों ने अपने मन के संकल्प से मिटना है. जिनके कारण हम अच्छे दिखते हैं, जिनके कारण हमारा अच्छा काम होता है उससे बड़ा हमारा कोई हितैषी नहीं है. इसलिए श्रमिकों का सम्मान, श्रमिकों का गौरव ये हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य होना चाहिए, ये हमारा राष्ट्रीय स्वभाव होना चाहिए. ये जन-जन की प्रवृति होनी चाहिए, ये जन-जन की वृति होनी चाहिए.

2016 के भाषण में पीएम जनधन योजना

2016 के भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने पीएम जनधन योजना का जिक्र करते हुए कहा था कि, कभी-कभी देश में स्वभाव बन गया था, ये काम तो हो सकता है, ये काम तो कभी हो सकता है, ये काम तो अभी नहीं हो सकता है, ये काम तो अभी नहीं होगा, कभी होगा पता नहीं. निराशा ये हमारा मिजाज बनता जा रहा था. इसको तोड़ना, शासन में ऊर्जा भरना, जब कोई सिद्धि दिखती है तो उत्साह भी बढ़ती है, ऊर्जा भी बढ़ती है और संकल्प भी बड़ा धारदार हो जाता है और परिणाम भी निकट नजर आने लग जाता है. हमने जब प्रधानमंत्री जनधन योजना का संकल्प लिया तो यह एक प्रकार से असंभव काम था इतने सालों से बैंक और सरकार थी लेकिन सामान्य व्यक्ति देश की अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा का हिस्सा नहीं बन पाता था. ऐसे में 21 करोड़ परिवारों को जनधन योजना से जोड़कर असंभव को संभव किया.

2017 के संबोधन में सर्जिकल स्ट्राइक

2017 के संबोधन में पीएम मोदी ने सर्जिकल स्ट्राइक का जिक्र किया था. उन्होंने कहा कि हमारे जवान बलिदान देने में कभी पीछे नहीं रहे हैं. जब सर्जिकल स्ट्राइक हुई तो दुनिया को हमारी और हमारे लोगों की ताकत का लोहा मानना पड़ा.

2018 के भाषण में संवैधानिक दर्जे का जिक्र

2018 के भाषण में पीएम मोदी ने कहा था कि दलित, ओबीसी, वंचित और महिलाओं के हितों की रक्षा करने के लिए हमारी संसद ने संवेदनशीलता और सजगता के साथ सामाजिक न्याय को मजबूत बनाया. ओबीसी आयोग को सालों से संवैधानिक दर्जे के लिए मांग उठ रही थी. इस बार संसद में पिछड़े, अति पिछड़ों को एक संवैधानिक दर्जा और व्यवस्था देकर उनके हक की रक्षा करने का प्रयास किया है.

2019 में अनुच्छेद 370 को हटाने की बात

2019 के भाषण में पीएम मोदी ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने की बात कही थी. उन्होंने कहा कि 10 हफ्तों के भीतर ही अनुच्छेद 370, 35ए का हटना सरदार वल्लभ भाई पटेल के सपनों को पूरा करने की दिशा में एक अहम कदम रहा. 10 सप्ताह के भीतर हमारी मुस्लिम माताओं और बहनों को उनका अधिकार दिलाने के लिए तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाना, आतंक से जुड़े कानूनों में बड़े परिवर्तन करके उसको एक नई ताकत देने का, आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के संकल्प को और मजबूत करने का काम, किसानों को पीएम सम्मान निधि के तहत 90 हजार करोड़ रुपये खाते में ट्रांसफर करने का काम किया है.

2020 में आजाद भारत की मानसिकता

2020 के भाषण में उन्होंने कहा था कि आजाद भारत की क्या मानसिकता होनी चाहिए. आजाद भारत की मानसिकता होनी चाहिए वोकल फोर लोकल, हमारे जो स्थानीय उत्पाद हैं उनका गौरव गान करना चाहिए. हम अपनी चीजों का गौरव गान नहीं करेंगे तो उसे अच्छा बनने का अवसर भी नहीं मिलेगा और उसकी हिम्मत नहीं बढ़ेगी. आजादी के 75 साल के पर्व की ओर कदम रख रहे हैं तब हम सब संकल्प लें वोकल फोर लोकल का जीवन मंत्र बन जाए और हम मिलकर भारत की इस ताकत को बढ़ावा दें.

साल 2021 में आजादी के 75 साल पूरे

साल 2021 के भाषण में पीएम मोदी ने आजादी के 75 साल पूरे होने पर कहा था कि एक समय ऐसा आता है जब देश खुद को नए सिरे से परिभाषित करता है. खुद को नए संकल्पों के साथ आगे बढ़ाता है. भारत की इस विकास यात्रा में भी आज वो समय आ गया है. 75 वें वर्ष के पर्व को हमें एक समारोह भर ही सीमित नहीं करना है, हमें नए संकल्पों को आधार बनाना है. यहां से शुरू होकर अगली 25 वर्ष की यात्रा जब हम आजादी की शताब्दी मनाएंगे,नए भारत के सृजन का यह अमृतकाल है.

साल 2022 : चेतना को जगाने का काल

साल 2022 के भाषण में पीएम मोदी ने कहा था कि यह पुनर्जागरण और फिर से चेतना को जगाने का काल है. यह लोग समझ नहीं पाए हैं. जब देश के हर कोने से लोग जनता कर्फ्यू के लिए नकल पड़ता है. जब देश ताली-थाली बजाकर के कोरोना वॉरियर्स के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा हो जाता है, जब दीया जलाकर के कोरोना वॉरियर्स को शुभकामनाएं देने के लिए देश निकल पड़ता है तब चेतना की अनुभूति होती है. दुनिया कोरोना के कालखंड में वैक्सीन लेना या नहीं लेना उस उलझन में जी रहा था, उस हमारे देश में 200 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन लगा चुकी थी.

2023 में पीएम ने दिया 90 मिनट का भाषण

2023 के 90 मिनट के भाषण में पीएम मोदी ने भ्रष्टाचार और परिवारवाद का मुद्दा उठाया था. उन्होंने कहा था कि ये मेरा पहला कमिटमेंट है कि मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ता रहूंगा. दूसरा-हमारे देश को परिवारवाद ने नोंच लिया है. इस परिवारवाद ने देश को जिस प्रकार से जकड़ के रखा है, उसने देश के लोगों का हक छीना है. तीसरी बुराई तुष्टिकरण की है.

इस बार देश के लिए देखा और बड़ा सपना

2024 के अपने भाषण में पीएम मोदी ने कहा कि भारत के लोगों के साथ-साथ दुनिया के देशों को भी बड़ा संदेश देते हुए कहा कि, भारत का विकास किसी के लिए संकट लेकर नहीं आता है. हम विश्व में समृद्ध थे तब भी हमने किसी को युद्ध में नहीं झोंका. हम बुद्ध का देश हैं, युद्ध हमारी राह नहीं है. इसलिए भारत के आगे बढ़ने से विश्‍व चिंतित न हो, मैं विश्व समुदाय को विश्वास दिलाता हूं, आप भारत के संस्कारों को समझिए, हमारे हजारों साल के इतिहास को समझिए. आप हमें संकट मत मानिए, आप उन तरकीबों से मत जुड़िए जिसके कारण पूरी मानव जाति का कल्याण करने का सामर्थ्य जिस भूमि में है, उस भूमि को ज्यादा मेहनत करनी पड़े. लेकिन, फिर भी मैं देशवासियों को कहना चाहता हूं चुनौतियां कितनी भी क्यों ना हो चुनौती को चुनौती देना ये हिंदुस्तान की फितरत में है.

– भारत एक्‍सप्रेस



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