Shah Alam II कौन थे, जिन्होंने आज ही के दिन ईस्ट इंडिया कंपनी को ‘सौंप’ दिया था बंगाल, अंग्रेज वसूलने लगे टैक्स
Treaty of Allahabad : सन् 1765 में ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल का नियंत्रण मिलना भारत में मुगल साम्राज्य और ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी. यह निर्णय मुख्य रूप से बक्सर की लड़ाई में देशी शासकों की हार के कारण लेना पड़ा.
पिंगली वेंकैया: तिरंगे के रचयिता को ही राष्ट्रध्वज नसीब न हुआ!
कांग्रेस के एक अधिवेशन के पिंगली वेंकैया ने राष्ट्रध्वज की आवश्यकता पर बल दिया था. उनका यह विचार महात्मा गांधी को बहुत पसंद आया. उन्होंने उन्हें राष्ट्रीय ध्वज का प्रारूप तैयार करने का सुझाव दिया था.
Independence Day 2024: अंग्रेजी हुकूमत की नाक में कर दिया था दम, 18 साल की उम्र में दी गई फांसी, पढ़ें खुदीराम बोस से जुड़ी ये घटनाएं
फांसी के समय खुदीराम की उम्र 18 साल, 8 महीने और 8 दिन थी. उनकी शहादत ने देश को झकझोर कर रख दिया. देश के लिए मर मिटने के उनके जज्बे ने कइयों को प्रेरित किया.
काकोरी कांड के 100 साल, जब क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी हुकूमत का लूट लिया था खजाना
अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लेते हुए साल 1925 में क्रांतिकारियों ने ट्रेन से ले जाए जा रहे उनके खजाने को लूट लिया था. इस लूटकांड को काकोरी के पास अंजाम दिया गया था.
जानें रविंद्रनाथ टैगोर ने अंग्रेजों को क्यों लौटा दी थी ‘नाइटहुड’ की उपाधि
नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर 20वीं सदी के शुरुआत में बंगाल और पूरे भारत में एक प्रमुख लेखक, कवि और कलाकार के साथ-साथ दुनिया भर में लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत रहे हैं.
भारत छोड़ो आंदोलन: 1942 में आज ही के दिन महात्मा गांधी ने दिया था ‘करो या मरो’ का नारा
महात्मा गांधी ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के बॉम्बे अधिवेशन में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ को नई दिशा दी. इस आंदोलन ने ही देशवासियों को ब्रिटिश शासन के खिलाफ जुटने के लिए प्रेरित किया.
देश के इस हिस्से में 15 नहीं 16 अगस्त को मनाते हैं स्वतंत्रता दिवस, जाने क्या है वजह?
इस दिन यहां के लोग नए-नए कपड़े पहनते हैं, एक दूसरे से गले मिलते हैं और आपस में मिठाईयां बांटते हैं.
जिस कंपनी ने कभी भारत को बनाया था गुलाम, आज उसपर राज कर रहा ये भारतीय, बेच रही चाय-कॉफी और चॉकलेट
आपको जानकर खुशी होगी कि सदियों तक हिंदुस्तान को गुलाम बनाकर रखने वाली इस कंपनी पर अब एक भारतीय राज कर रहा है.
जानें कौन थे स्वतंत्रता संग्राम के जनक और क्यों चला था राजद्रोह का मुकदमा? लोकप्रिय थे उनको ये दो अखबार
वह स्कूल में मैथ्स और अंग्रेजी पढ़ाते थे लेकिन उनके पढ़ाने के स्टाइल से अन्य शिक्षकों के साथ उनका विवाद हो गया था.
ब्रिटिश सरकार ने मुंशी प्रेमचंद की इस रचना पर लगाया था बैन, ऐसे मिला उपन्यास सम्राट का नाम
मुंशी प्रेमचंद ने अपने लेखन से समाज और देश को जागरूक करने का काम किया. उन्होंने साल 1905 में ‘जमाना’ नाम के पत्र में पहली बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता गोपाल कृष्ण गोखले पर एक लेख लिखा.