जम्मू के कठुआ के यौन हिंसा पीड़िता की पहचान उजगार करने के मामले में हाईकोर्ट ने अपने रजिस्ट्रार जनरल से कहा कि वह मीडिया संस्थानों की तरफ से जमा कराई गई रकम को यौन हिंसा की पीड़िताओं के लिए बने जम्मू-कश्मीर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण कोष में स्थानांतरित कर दे। जिससे उस राशि को यौन हिंसा की पीड़िताओं व हिंसा में जान गंवाने वाली महिलाओं/ युवतियों/लड़कियों के परिजनों के बीच वितरित किया जा सके।
मालूम हो कि कठुआ में सामूहिक दुष्कर्म के बाद आठ साल की लड़की की हत्या कर दी गई थी। पीड़िता की पहचान उजागर करने को लेकर कोर्ट ने मीडिया संस्थानों की आलोचना की थी। दो मीडिया संस्थानों ने हाल में कोर्ट में 10-10 लाख रुपए जमा कराए थे। कुछ अन्य संस्थाएं पहले ही राशि जमा करा दिया है। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा एवं न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने यह आदेश दिया है। साथ ही इससे संबंधित मामले को निपटा दिया।
मीडिया में इस बारे में खबरें आने के बाद हाईकोर्ट ने अप्रैल 2018 में स्वत: संज्ञान लेते हुए कई मीडिया संस्थानों को नाबालिग लड़की की पहचान उजागर करने को लेकर नोटिस जारी किया था। उसने उन्हें आगे से पीड़िता की पहचान को उजागर करने से भी रोक दिया था। मीडिया संस्थानों ने इसके बाद कोर्ट से माफी मांग ली थी। उनके वकील ने कहा था कि उनके मुवक्किल अपनी नेकनीयती स्थापित करने के लिए पैसा देने को इच्छुक हैं, जिसे यौन हिंसा पीड़ितों व उनके परिजनों के बीच क्षतिपूर्ति के रूप में बांटा जा सके।
जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में 10 जनवरी, 2018 को आठ साल की एक बच्ची अपने घर के पास से लापता हो गई थी। एक सप्ताह बाद उसी इलाके में उसका शव बरामद हुआ था। जम्मू-कश्मीर पुलिस के आरोपपत्र में खुलासा किया गया था कि कथित रूप से उस लड़की को अगवा किया गया था, उसे नशीला पदार्थ देकर उसके साथ एक धर्मस्थल के अंदर बलात्कार किया गया और फिर उसकी हत्या कर दी गई।
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