
Budget 2025: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2025 पेश करने के ऐतिहासिक अवसर पर बिहार की प्रसिद्ध मधुबनी कला को सम्मान देते हुए पद्मश्री दुलारी देवी द्वारा भेंट की गई पारंपरिक साड़ी पहनी. उनके इस विशेष परिधान ने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और लोक कला के प्रति उनके सम्मान को दर्शाया. वित्त मंत्री जब संसद भवन में बजट पेश करने पहुंचीं, तो उनकी साड़ी पर उकेरी गई मधुबनी पेंटिंग ने सभी का ध्यान आकर्षित किया. यह साड़ी खासतौर पर मिथिला की पारंपरिक कला को प्रदर्शित करती है, जिसे बिहार की सांस्कृतिक पहचान माना जाता है.
निर्मला सीतारमण और दुलारी देवी की मुलाकात 2021 में हुई थी, जब वित्त मंत्री मधुबनी जिले के मिथिला आर्ट इंस्टीट्यूट में क्रेडिट आउटरीच कार्यक्रम में शामिल हुई थीं. इस दौरान उन्होंने बिहार की प्रसिद्ध लोक कलाकार दुलारी देवी से बातचीत की थी. दोनों के बीच मधुबनी पेंटिंग की परंपरा, उसकी समृद्ध विरासत और कलाकारों के योगदान पर विस्तृत चर्चा हुई थी. इसी मुलाकात के दौरान दुलारी देवी ने निर्मला सीतारमण को अपनी कला से सजी एक विशेष साड़ी भेंट की थी और अनुरोध किया था कि वे इसे किसी खास अवसर पर पहनें. वित्त मंत्री ने इस आग्रह का सम्मान करते हुए बजट 2025 के दिन इस साड़ी को धारण किया.
दुलारी देवी का जीवन संघर्ष और कला के प्रति उनके समर्पण की मिसाल है. एक गरीब मछुआरा परिवार में जन्मीं दुलारी देवी ने कठिनाइयों के बावजूद मधुबनी पेंटिंग में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई. उनके योगदान को सम्मानित करते हुए उन्हें 2021 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से नवाजा गया था. उनकी बनाई मधुबनी पेंटिंग दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं और उन्होंने बिहार की इस प्राचीन कला को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है.
निर्मला सीतारमण का इस खास मौके पर मधुबनी कला को अपनाना न केवल एक व्यक्तिगत निर्णय था, बल्कि इससे यह भी स्पष्ट होता है कि सरकार भारतीय पारंपरिक कलाओं को सहेजने और उन्हें राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मंच पर आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है. यह पहल महिला कारीगरों और लोक कलाकारों को भी बड़ा प्रोत्साहन देगी, जिससे उन्हें आर्थिक और सामाजिक रूप से मजबूती मिलेगी.
बजट सत्र के दौरान वित्त मंत्री की यह सांस्कृतिक अभिव्यक्ति यह दर्शाती है कि भारतीय कला और परंपरा केवल अतीत की धरोहर नहीं हैं, बल्कि आधुनिक भारत की पहचान का अभिन्न हिस्सा भी हैं. सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत लोककला, हस्तशिल्प और ग्रामीण कारीगरों को बढ़ावा देने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को यह कदम और भी मजबूती प्रदान करेगा.
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