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Apple ने भारत से 1.9 अरब डॉलर के iPhones का निर्यात किया, अमेरिकी टैरिफ से बचने के लिए बढ़ाई गति

ट्रंप टैरिफ से बचने के लिए Apple ने मार्च में भारत से $1.9 बिलियन के iPhones का निर्यात किया. Foxconn और Tata Electronics ने इस विशाल एयरलिफ्ट ऑपरेशन को सफलता से अंजाम दिया.

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ के खतरे से बचने के लिए Apple ने भारत से रिकॉर्ड $1.9 बिलियन के iPhones का निर्यात किया. मार्च महीने में, कंपनी ने अपनी आपूर्ति श्रृंखला में एक बड़ा कदम उठाया और Foxconn और Tata Electronics जैसी भारतीय कंपनियों से भारी मात्रा में iPhones को अमेरिकी बाजार में भेजने के लिए एयरलिफ्ट किया. इस कदम का उद्देश्य ट्रंप द्वारा लगाए गए नए टैरिफ से बचने और वैश्विक तकनीकी आपूर्ति श्रृंखलाओं में संभावित व्यवधानों को कम करना था.

Apple के भारतीय आपूर्ति भागीदारों—Foxconn और Tata Electronics—ने इस एयरलिफ्ट ऑपरेशन को सुचारू रूप से अंजाम दिया. Foxconn, जो Apple का सबसे बड़ा आपूर्ति पार्टनर है, ने मार्च में $1.31 बिलियन मूल्य के iPhones का निर्यात किया, जो किसी भी महीने में उसका सबसे बड़ा निर्यात था. इसके अलावा, Tata Electronics ने मार्च में 63% का उछाल दिखाया और $612 मिलियन का निर्यात किया. यह तेजी से बढ़ते भारतीय iPhone उत्पादन केंद्र के महत्व को दर्शाता है.

एयरलिफ्ट ऑपरेशन में त्वरित गति और प्रभावशाली परिणाम

Foxconn ने अपनी मार्च महीने की सभी शिपमेंट्स को चेन्नई से एयर-फ्रेट किया, और ये शिपमेंट्स अमेरिका के विभिन्न शहरों जैसे लॉस एंजेलिस, न्यूयॉर्क, और शिकागो में पहुंचे. यह ऑपरेशन न केवल अपनी गति के लिए बल्कि इसके पैमाने के लिए भी उल्लेखनीय था. कम से कम छह मालवाहन जेट इस मिशन में शामिल थे. एक सूत्र के अनुसार, यह एक रणनीतिक कदम था जिसे “टैरिफ से बचने” के रूप में देखा गया. इस तेजी से काम को लेकर भारतीय अधिकारियों से भी मदद ली गई थी ताकि चेन्नई एयरपोर्ट पर कस्टम क्लीयरेंस प्रक्रिया को तेजी से किया जा सके—30 घंटे से घटाकर इसे 6 घंटे में लाया गया.

ट्रंप के टैरिफ और अस्थायी राहत का प्रभाव

अप्रैल की शुरुआत में, ट्रंप प्रशासन ने भारत से आयातित वस्तुओं पर 26% का टैरिफ लगाया था, जो चीन के मुकाबले कम था, जहां 100%-plus टैरिफ लागू किया गया था. हालांकि, कुछ दिन बाद, अमेरिका सरकार ने अधिकांश नए टैरिफ को रोक दिया, सिवाय चीन के, जिससे कंपनियों को अस्थायी राहत मिली. 13 अप्रैल को, अमेरिकी प्रशासन ने अपने टैरिफ आदेश में संशोधन करते हुए स्मार्टफोन्स, टैबलेट्स, लैपटॉप्स और कुछ सेमीकंडक्टर को नए करों से मुक्त कर दिया, जिससे Apple के भारत निर्मित iPhones को चीन के मुकाबले 20% का टैरिफ लाभ मिला.

स्मार्टफोन हब और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भूमिका

भारत अब केवल चीन के विकल्प के रूप में नहीं, बल्कि एक स्वतंत्र और प्रतिस्पर्धी विकल्प के रूप में उभरकर सामने आया है. भारतीय मोबाइल फोन निर्यात, जो 2024–25 में ₹2 लाख करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है, में से ₹1.5 लाख करोड़ केवल iPhone निर्यात से आया है. यह भारत की बढ़ती क्षमता और तकनीकी उत्पादन में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है. मोबाइल उद्योग के प्रमुख आंकड़े मानते हैं कि भारत अब वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स आपूर्ति श्रृंखला का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है.

अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत एक महत्वपूर्ण अवसर

अमेरिकी कंपनियों, विशेष रूप से Apple, के लिए भारत अब एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार बन चुका है. एशोक चंदक, इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर एसोसिएशन (IESA) के अध्यक्ष, ने कहा कि टैरिफ से राहत एक महत्वपूर्ण अवसर हो सकता है, लेकिन यह अस्थायी हो सकता है. उन्होंने आगे कहा कि भारत के लिए यह एक महत्वपूर्ण खिड़की है, जहां उसे अपनी आपूर्ति श्रृंखला को और मजबूत करना चाहिए और दीर्घकालिक लाभ के लिए काम करना चाहिए. भारत के लिए यह समय अपने उत्पादन और निर्यात को और अधिक बढ़ाने का है.

Apple की भारत में निवेश रणनीति और भविष्य की राह

Apple ने भारत में अपनी रणनीति को और भी मजबूत किया है. सरकार के साथ साझेदारी, भारी निवेश और मजबूत आपूर्ति श्रृंखला ने Apple को अमेरिकी व्यापार नीति के झटकों से बचने में मदद की है. विशेषज्ञों का मानना है कि Apple के लिए भारत में कारोबार करना अब पहले से कहीं अधिक लाभकारी हो गया है, और भारतीय बाजार में यह आगे बढ़ने के लिए तैयार है.

ट्रंप टैरिफ से उत्पन्न अनिश्चितताओं के बावजूद, Apple और अन्य कंपनियों ने भारत में अपनी उपस्थिति को मजबूत किया है. अब भारत एक वैश्विक तकनीकी उत्पादन केंद्र के रूप में अपनी पहचान बना चुका है.

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-भारत एक्सप्रेस



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