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भारत की आर्थिक वृद्धि और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की सराहना कर रहा अंतरराष्ट्रीय समुदाय: IMF के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर

IMF के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने भारत की समावेशी और टिकाऊ आर्थिक वृद्धि की दिशा में किए गए प्रयासों की सराहना की है. उन्होंने यह भी कहा कि यदि भारत को यदि $55 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनना है, तो उत्पादन क्षमता और धन सृजन के दृष्टिकोण में महत्वपूर्ण बदलाव करने होंगे.

IMF के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम

IMF के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और शीर्ष अर्थशास्त्री कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने भारत की आर्थिक वृद्धि और समावेशी विकास की सराहना की है. उन्होंने कहा कि भारत की सार्वजनिक डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और समावेशी विकास न केवल चर्चा का विषय हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा उनकी सराहना भी की जा रही है. सुब्रमण्यम के अनुसार, भारत का समग्र विकास, विशेषकर कोरोना महामारी के बाद, वैश्विक समुदाय में सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त कर रहा है.

कोरोना के दौरान भारत की नीतियां और प्रभाव

सुब्रमण्यम ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान भारत ने जो आर्थिक नीतियाँ अपनाई, वे बाकी देशों से अलग थीं. जबकि अन्य देशों ने कोविड को केवल एक मांग पक्षीय संकट के रूप में पहचाना, भारत ने इसे मांग और आपूर्ति दोनों पक्षों का संकट माना. इस प्रकार, भारत ने मांग और आपूर्ति दोनों पक्षों के लिए संतुलित नीतियाँ अपनाईं, जिससे महामारी के बाद की कठिनाइयों को संभालने में मदद मिली. उन्होंने यह भी कहा कि यूरोप में युद्ध और आपूर्ति संकट के कारण वैश्विक स्तर पर महंगाई में वृद्धि हुई, लेकिन भारत पर इसका प्रभाव बहुत कम था.

वृद्धि दर और उत्पादन क्षमता में वृद्धि

सुब्रमण्यम ने भारत की ग्रोथ रेट और उत्पादकता में सुधार पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि 2002 से 2013 तक भारत की कुल कारक उत्पादकता (TFP) का औसत दर केवल 1.3% था, जबकि 2014 के बाद यह दर बढ़कर 2.7% हो गई है. इसका मतलब है कि भारत की उत्पादकता दोगुनी गति से बढ़ी है. इसके साथ ही, उन्होंने नए उद्यमों के निर्माण में भी वृद्धि की ओर संकेत किया. 2004 से 2014 तक नई कंपनियों की स्थापना केवल 3.2% थी, जबकि 2014 के बाद यह आंकड़ा काफी बढ़ा है.

देश की वैश्विक रैंकिंग में सुधार

सुब्रमण्यम ने बताया कि 2015 में भारत का वैश्विक इनोवेशन रैंकिंग 85वां था, जबकि 2024 में यह रैंकिंग 39वां हो गया है. इसके अलावा, ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ रैंकिंग में भी भारत का सुधार हुआ है. 2014 में भारत की रैंक 140 थी, जो अब 60 के आस-पास हो गई है. यह सब भारत में किए गए संरचनात्मक सुधारों का परिणाम है, जो अर्थव्यवस्था की गतिशीलता और प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने में मदद कर रहे हैं.

निर्माण क्षेत्र और समावेशी विकास

सुब्रमण्यम ने अपनी नई पुस्तक “India@100” में भारत को एक $55 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए उन्होंने निर्माण क्षेत्र के विकास पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता जताई, क्योंकि यह क्षेत्र रोजगार सृजन के लिए महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि समावेशी विकास के लिए यह जरूरी है कि भारत निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा दे, जिससे समाजिक और आर्थिक समावेशिता को बढ़ाया जा सके.

धन सृजन और रोजगार सृजन

सुब्रमण्यम ने धन सृजन और रोजगार सृजन के बीच के संबंध को भी स्पष्ट किया. उन्होंने कहा कि भारत को धन सृजनकर्ताओं को सही दृष्टिकोण से देखना होगा. अमेरिका में जहां संपत्ति अर्जित करना ‘अमेरिकन ड्रीम’ माना जाता है, वहीं भारत में इसे लेकर नकारात्मक दृष्टिकोण देखा जाता है. सुब्रमण्यम ने इस विचारधारा को बदलने की आवश्यकता पर बल दिया, क्योंकि हर नौकरी, हर व्यक्ति की समृद्धि, किसी न किसी धन सृजनकर्ता की वजह से होती है.

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