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CEA नागेश्वरन ने कहा कि FY26 में भारत की अर्थव्यवस्था 6.3-6.8% की रफ्तार से आगे बढ़ेगी. अनुकूल मौद्रिक नीति, कर राहत, और मानसून से फायदा मिलेगा. निजी क्षेत्र से निवेश और रोजगार पर जोर है

शनिवार को जारी आईएमएफ की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि भारत और पाकिस्तान के बीच में अगर तनाव बढ़ता है कि तो पड़ोसी देश के राजकोष, विदेशी व्यापार और सुधारों पर नकारात्मक असर होगा.

भारत के विरोध के बावजूद IMF ने पाकिस्तान को 2.4 अरब डॉलर की मदद दी. पाकिस्तान का आतंकवाद से पुराना रिश्ता रहा है. क्या ऐसे में आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई कमजोर नहीं पड़ेगी?

IMF कार्यकारी बोर्ड में 25 निदेशक होते हैं जो सदस्य देशों या देशों के समूहों का प्रतिनिधित्व करते हैं. पिछले साल सितंबर में आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड ने पाकिस्तान के लिए लगभग सात अरब डॉलर को मंजूरी दी थी. 

विदेश सचिव ने कहा, "मुझे यकीन है कि हमारे कार्यकारी निदेशक भारत का पक्ष रखेंगे." उन्होंने कहा, "बोर्ड के निर्णय एक अलग मामला है... लेकिन मुझे लगता है कि पाकिस्तान के संबंध में मामला उन लोगों के लिए स्पष्ट होना चाहिए जो इस देश को बचाने के लिए उदारतापूर्वक अपनी जेब ढीली करते हैं."

मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक चुनौतियों के बावजूद अच्छी स्थिति में है. IMF ने भी अगले दो वर्षों तक भारत को सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बताया है.

News of Executive Director of IMF: डॉ. कृष्णमूर्ति, जो पहले भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार भी रह चुके हैं, को हाल ही में IMF में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए नियुक्त किया गया था.

निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत की वृद्धि क्षमता को IMF और विश्व बैंक ने स्वीकार किया है. उन्होंने 2047 तक "विकसित भारत" बनाने का लक्ष्य साझा किया और सूर्योदय क्षेत्रों पर जोर दिया.

IMF के कार्यकारी निदेशक कृष्णमूर्ति वी सुब्रमण्यन ने कहा कि बोर्ड में बैठने के बाद से मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि दुनिया भारत को लेकर आशावादी है. भारत ने जिस तरह का सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढांचा लागू किया है, उसका मेरे बोर्ड के लगभग हर सहयोगी ईमानदारी से सराहना करते हैं.

IMF के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने भारत की समावेशी और टिकाऊ आर्थिक वृद्धि की दिशा में किए गए प्रयासों की सराहना की है. उन्होंने यह भी कहा कि यदि भारत को यदि $55 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनना है, तो उत्पादन क्षमता और धन सृजन के दृष्टिकोण में महत्वपूर्ण बदलाव करने होंगे.