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महंगाई की एक और मार, 1 अप्रैल से बढ़ेंगी जरूरी दवाइयों की कीमतें

आम आदमी को महंगाई का एक और बड़ा झटका लगने वाला है, पेंकिलर से लेकर एंटीबायोटिक्स तक, सभी दवाइयां होने जा रही हैं महंगी

बढ़ती महंगाई की खबरें आप अक्सर पढ़ते और सुनते होंगे। आपको बता दें की अप्रैल से महंगाई में और इजाफा होने वाला है। दरअसल, 384 जरूरी दवाओं और 1,000 से अधिक फॉर्म्युलेशन की कीमतों में 11% का उछाल देखने को मिलेगा। ऐसा व्होलसेल मूल्य सूचकांक (WPI) में तेजी से बढ़ने के कारण है।

जरूरी दवाइयां होंगी महंगी

1 अप्रैल से लागू होने वाली दवाई की कीमतों के अनुसार लोगों को रोजमर्रा की आवश्यक दवाओं के लिए ज़्यादा पैसा देना होगा। जिसमें पेंकिलर्स, एंटी इन्फेक्शन दवाएं, कार्डियक दवाएं और एंटीबायोटिक शामिल हैं। इससे आम आदमी की जेब पर बड़ा असर पड़ेगा।

12 फीसदी तक बढ़ेगी कीमत

दवाइयों की कीमतों में वार्षिक बढ़ोतरी राष्ट्रीय आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल दवाओं के लिए है, जो थोक मूल्य सूची (WPI) पर आधारित होती है। एक रिपोर्ट की माने तो दवाओं के दाम 12 फीसदी से ज्यादा बढ़ सकते हैं। यह दूसरा वर्ष है जब दवाओं के दाम बढ़ेंगे। शेड्यूल ड्रग्स की कीमतों में लगभग 10 फीसदी तक इजाफा किया जा सकता है।

जानकारी के लिए बता दें की शेड्यूल ड्रग्स वे दवाएं होती हैं जिनकी कीमतों पर नियंत्रण होता है। नियमों के अनुसार, शेड्यूल दवाओं के दाम सरकार की अनुमति के बिना बढ़ाए नहीं जा सकते हैं। WPI में वार्षिक परिवर्तन के कारण कीमतों में मामूली वृद्धि हुई है, जो पिछले कुछ वर्षों में 1% और 2% के बीच रही है। सूत्रों के अनुसार, NPPA जल्द ही निर्धारित फॉर्मूलेशन की ज्यादातर कीमतों को अधिसूचित करेगा।

आपको बता दें की राष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) ने 25 मार्च को बताया कि साल 2022 में WPI में सालाना बदलाव 12.12% था। इसी के साथ, अगर पिछले साल की बात करें तो ये बदलाव 10.7% घोषित किया था। हर साल, ड्रग्स प्राइस कंट्रोल ऑर्डर 2013 या DPCO, 2013 के अनुसार थोक मूल्य सूचकांक (WPI) में परिवर्तन की घोषणा NPPA करती है।

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