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FPI ने भारतीय इक्विटी में दिसंबर में अब तक ₹ 22,765 करोड़ का किया निवेश

नेट FPI फ्लो का यह नवीनतम आंकड़ा नवंबर 2024 में ₹ 21,612 करोड़ के नेट ऑउटफ्लो और अक्टूबर 2024 में दर्ज ₹ 94,017 करोड़ की भारी शुद्ध निकासी के बिल्कुल विपरीत था.

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डिपॉजिटरी डेटा के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने दिसंबर के दूसरे सप्ताह में भारतीय इक्विटी में अपनी खरीदारी की रुचि बनाए रखी, हालांकि चुनिंदा काउंटरों में, इस महीने अब तक ₹ 22,765 करोड़ का शुद्ध निवेश किया है. इस मजबूत प्रवाह ने भारतीय द्वितीयक बाजार को बहुत जरूरी गति प्रदान की है, जिससे पिछले सप्ताह इक्विटी बेंचमार्क में तेजी आई.

नवीनतम प्रवाह (Latest Flow) में 13 दिसंबर तक स्टॉक एक्सचेंजों के माध्यम से ₹ ​​14435 करोड़ का शुद्ध निवेश शामिल है.

1.10 लाख करोड़ से अधिक का निवेश हुआ

रिपोर्ट के अनुसार, नेट FPI फ्लो का यह नवीनतम आंकड़ा नवंबर 2024 में ₹ 21,612 करोड़ के नेट ऑउटफ्लो और अक्टूबर 2024 में दर्ज ₹ 94,017 करोड़ की भारी शुद्ध निकासी के बिल्कुल विपरीत था. सितंबर में, FPI ने ₹ 57,724 करोड़ मूल्य के भारतीय इक्विटी खरीदे थे. पिछले दो महीनों में एफपीआई भारतीय इक्विटी में भारी बिकवाली कर रहे थे, लेकिन इस कैलेंडर वर्ष में वे प्राथमिक बाजारों में बड़े निवेशक रहे हैं, जिन्होंने ₹1.10 लाख करोड़ से अधिक का निवेश किया है.

इस बीच, डिपॉजिटरी के आंकड़ों से पता चलता है कि इस कैलेंडर वर्ष में भारतीय इक्विटी में एफपीआई का शुद्ध निवेश ₹7,747 करोड़ रहा. पूंजी बाजार के पर्यवेक्षकों का कहना है कि अगर यह सकारात्मक खरीददारी 31 दिसंबर तक जारी रहती है, तो यह लगातार दूसरा साल हो सकता है, जब एफपीआई भारतीय इक्विटी में शुद्ध खरीदार होंगे.

डॉलर में उछाल चिंता का विषय

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, “अक्टूबर और नवंबर में लगातार बिकवाली के बाद दिसंबर में एफपीआई के खरीदार बनने से नवंबर के निचले स्तर से बाजार में सुधार हुआ है. एफपीआई की खरीददारी ने बैंकिंग और आईटी जैसे बड़े कैप शेयरों में तेजी को बढ़ावा दिया है.”

उन्होंने कहा कि भले ही दिसंबर में एफपीआई खरीदार बने हों, लेकिन कुछ दिनों में वे बड़े विक्रेता भी रहे हैं. विजयकुमार ने कहा, “इससे संकेत मिलता है कि उच्च स्तरों पर वे फिर से विक्रेता बन सकते हैं क्योंकि भारतीय मूल्यांकन अन्य बाजारों की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक बना हुआ है. डॉलर में उछाल एक और चिंता का विषय है जो एफआईआई को उच्च स्तरों पर बेचने के लिए प्रेरित कर सकता है.”


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-भारत एक्सप्रेस



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