Hindenburg Report: अमेरिकी रिसर्च फर्म Hindenburg की रिपोर्ट पबिल्श होने के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट देखी जा रही थी. इस रिपोर्ट की वजह से अडानी ग्रुप के शेयर 66 फीसदी तक गिर गए थे. इसके साथ ही ग्रुप के मार्केट कैप में भी 117 अरब डॉलर की कमी आई थी और गौतम अडानी दुनिया के टॉप अरबपतियों की लिस्ट में चौथे पायदान से खिसकर सोमवार को 22वें नंबर पर पहुंच गए थे. Hindenburg की रिपोर्ट पर गौतम अडानी ने जवाब भी दिया. इसी के साथ उन्होंने जनता का भरोसा जीतने और कंपनी की साख को बचाने के लिए कई बड़े फैसले लिए हैं.
FPO को वापस लेने का फैसला
1 फरवरी के दिन अदानी ग्रुप ने अदानी एंटरप्राइजेज के FPO को वापस लेने का फैसला किया और निवेशकों के पैसे वापस लौटाने का वादा किया. अदानी ग्रुप की ओर से जारी किए गए बयान के मुताबिक, ये FPO निवेशकों के हितों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है.
इसके अलावा FPO में आई रकम निवेशकों को वापस लौटाई जाएगी. कंपनी ने अपने बयान में बताया कि वो बुक रनिंग लीड मैनेजर्स (BRLMs) के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, ताकि निवेशकों को उनका पैसा वापस लौटाया जा सके.
अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी ने निवेशकों को भरोसा दिलाते हुए कहा कि दमदार कैशफ्लो और सुरक्षित संपत्तियों के साथ हमारी बैलेंस शीट बहुत मजबूत है. गिरते शेयरों के बीच खबर ये भी है कि समूह ने अपनी कुछ कंपनियों के गिरवी रखे शेयरों को छुड़ाने का प्लान बनाया है.
1.114 अरब डॉलर का प्री-पेमेंट
इसके लिए इन कंपनियों के प्रमोटर्स ने मैच्योरिटी से पहले ही 1.114 अरब डॉलर (यानी करीब 9185 करोड़ रुपये) का प्रीपेमेंट करने का फैसला किया है. अडानी ग्रुप के शेयरों में गिरावट के बीच कुछ कंपनियों के प्रमोटर्स ने कॉलेटरल के रूप में शेयरों के चेंज किए हैं.
जहां बार-बार अडानी के भारी-भरकम कर्ज को दिखाया रहा है तो वहीं अब कंपनी लोन्स की प्रीपेमेंट और पेमेंट कर इस बोझ को कम कर रही है। कंपनी के इस कदम से निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा। सोमवार को कंपनी अपने गिरवी रखे शेयरों को वापस छुड़ाने के लिए 1.11 अरब डॉलर के लोन्स का प्रीपेमेंट की घोषणा .की कंपनी अपने पूंजीगत खरचे को भी कम कर रही है.