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क्या P&W है GoFirst की बर्बादी का कारण, जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर

एयरलाइन का कहना है कि उनके फॉल्टी इंजन की वजह से एयरलाइन के 50 फीसदी एयरक्राप्ट्स ग्राउंडेड ही रहे . जिसके चलते कंपनी के ऑपरेशन्स पर असर पड़ा.

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प्रतीकात्मक तस्वीर

Go First Crisis : बीते सप्ताह अचानक से Go First एयरलाइन ने अपने सभी प्लाइट्स को रद्द कर NCLT में Insolvency and Bankruptcy Code (IBC) के लिए याचिका दायर की. खैर गो फर्स्ट के इस कदम से पूरी एविएशन इंडस्ट्री सकते में आ गई.

Pratt & Whitney (P&W) को बताया जिम्मेदार –

गोफर्स्ट ने न सिर्फ इनलॉल्वेंसी के लिए अर्जी दी है इसी के साथ कंपनी ने अमेरिका की Pratt & Whitney (P&W) पर मुकदमा किया है. कंपनी का कहना है कि एयरलाइन इस हालत में Pratt & Whitney (P&W)  की वजह से हैं क्योंकि उन्होने एयरलाइन को पॉल्टी एयरक्राफ्ट्स इंजन सप्लाई किये. इन इंजनों की कंपनी ने न तो कभी मरम्मत की न ही इनको बदलने की कोशिश की. Pratt & Whitney (P&W)  इंजन बनाने वाली अमेरिकन कंपनी है . गो पर्स्ट एयरलाइन का कहना है कि उनके फॉल्टी इंजन की वजह से एयरलाइन के 50 फीसदी एयरक्राप्ट्स ग्राउंडेड ही रहे . जिसके चलते कंपनी के ऑपरेशन्स पर असर पड़ा.

भले ही कंपनी ने अपनी हालत के लिए इंजनों को जिम्मेदार छहराया है लेकिन सवाल ये उठता है कि इतने सालों में आखिर कंपनी ने इस बात की सुद क्यों नहीं ली. अगर इंजन खराब थे तो आखिर कंपनी इतने सालों तक वेंडर के साथ क्यों जुड़ी रही . जबकि कंपनी के पास दूसरे विकल्प मौजूद थे.

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जहां तक भारत की विएशन इंडस्ट्री की बात करें तो यहां ज्यादातर एयरलाइंस नैरो बॉडी वाले एयरक्राप्ट्स का इस्तेमाल करती है. इस तरह के एयरक्राप्ट में इंजन के लिए 2 ऑप्शन मिलते हैं. P&W GTF और The CFM LEAP. देश की बड़ी एयरलाइंस Air India, AirAsia India, Vistara, IndiGo, और Go FIRST सभी फ्लाइट्स के लिए एयरबस A320neo का इस्तमाल करती है. टाटा ग्रुप ने The CFM LEAP का विकल्प चुना था जबकि गो फर्स्ट ने p&w को चुना था. जबकि इंजन  आने वाली खामियों के चलते इंडिगो ने बाद में अपने विकल्प को बदलते हुए The CFM LEAP का चुनाव किया लेकिन गो फर्स्ट ने ऐसा कुछ नहीं किया.

गो फर्स्ट का भविष्य कैसा होगा ये तो फिलहाल की नहीं बता सकता है लेकिन p&w को अमेरिका में चलाए जा रहे मुकदमें का खामियाजा भुगतना तय है क्योंकि ज्यादातर एयरलाइंस ने इसी तरह की शिकायतें कर रखी है. कंपेसेशन कितना और कैसे मिलेगा ये कांट्रैक्ट पर निर्भर करेगा.

 



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