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Crude Oil Price: ‘कच्चा तेल 110 डॉलर प्रति बैरल के पार गया तो…’, मॉर्गन स्टैनली ने अपने नोट में कही ये बातें

रूस-यूक्रेन और इजरायल-फिलिस्तीन के बीच चल रहे युद्ध से पैदा हुए राजनीतिक संकट से पूरी दुनिया पर असर पड़ेगा. इसमें सबसे ज्यादा असर पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में होने वाले इजाफे को लेकर होगा.

कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ सकता है असर

कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ सकता है असर

रूस-यूक्रेन और इजरायल-फिलिस्तीन के बीच चल रहे युद्ध से पैदा हुए राजनीतिक संकट का असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा. इसमें सबसे ज्यादा असर पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में होने वाले इजाफे को लेकर होगा. माना जा रहा है कि अगर कच्चे तेल के दाम 110 डॉलर प्रति बैरल के पार हुआ तो इससे आर्थिक स्थिरता को बड़ा झटका लगेगा. जिसके बाद इसका सीधा प्रभाव बैंकिंग सेक्टर को नियंत्रित करने वाले आरबीआई को अपने पॉलिसी रेट को बढ़ाना पड़ेगा. जिसमें ब्याज दरें महंगी हो सकती हैं. इस बात का जिक्र मॉर्गन स्टैनली ने अपने एक नोट में किया है.

बढ़ सकती है महंगाई

चेतन आहया के नतृत्व में मॉर्गन स्टैनली के अर्थशास्त्रियों ने एक नोट लिखा है. जिसमें कहा गया है कि तेल खपत के आंकड़ों पर नजर डालें तो भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है. जहां पर तेल की खपत होती है. ऐसे में अगर कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होती है तो इसका सीधा असर भारत पड़ सकता है. कच्चे तेल के दामों में अगर 10 डॉलर प्रति बैरल इजाफा होता है तो महंगाई की दर 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी होगी. इसके अलावा चालू खाते के घाटे में 30 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि का अनुमान है.

अर्थव्यवस्था की स्थिरता को झटका लग सकता है

मॉर्गन स्टैनली के नोट के मुताबिक, कच्चे तेल के दामों में 110 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जाने पर भारत की अर्थव्यवस्था की जो स्थिरता है उसको झटका लग सकता है, जिससे पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी देखी जा सकती है. इसके अलावा करंट अकाउंट डेफिसिट यानी चालू खाते का घाटा भी GDP के 2.5 प्रतिशत से ऊपर बना रह सकता है.

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नोट में लिखा गया है कि कच्चे तेल के लिए जो बेस केस 95 डॉलर प्रति बैरल है और इसी लेवल पर बने रहने से अर्थव्यवस्था में चीजें फिलहाल अनुकूल रहेंगी. अगर ऐसी परिस्थिति होने पर RBI की ओर से ब्याज की दरों में किसी तरह की कोई कटौती के फैसले में भी देरी हो सकती है.

पॉलिसी रेट्स को 6 बार बढ़ाया गया

बता दें कि 4 मई 2022 को भारतीय रिजर्व बैंक ने पहली बार पॉलिसी रेट्स को बढ़ाने का सिलसिला शुरू किया था. इसे फरवरी 2023 तक 6 बार बढ़ाया गया, जिसके तहत 4 फीसदी से बढ़ाकर इसे 6.50 प्रतिशत कर दिया गया. सितंबर 2023 में खुदरा महंगाई की दर करीब 5 फीसदी तक पहुंच चुकी है. हालांकि RBI इसको 4 फीसदी पर रखने की कोशिश कर रही है. उसके बाद ही ब्याज की दरों में किसी भी तरह की कटौती के आसार हैं.

-भारत एक्सप्रेस



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