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Petroleum Exports: देश से पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात बढ़ा, जानिए रूस से ऊर्जा साझेदारी बढ़ने से कैसे हुआ फायदा

भारत की पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात और आयात की स्थिति वैश्विक ऊर्जा बाजार में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाती है, लेकिन आगे आने वाले समय में वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और राजनीतिक परिस्थितियों पर इसका असर पड़ सकता है.

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क्रूड ऑयल

Vijay Ram Edited by Vijay Ram

भारत के पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात में अप्रैल से नवंबर 2024 के बीच लगभग 3% की वृद्धि दर्ज की गई है. यह निर्यात 40.9 मिलियन टन से बढ़कर 42 मिलियन टन हो गया है, जैसा कि पेट्रोलियम योजना और विश्लेषण सेल (PPAC) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से पता चलता है. हालांकि, नवंबर महीने में निर्यात में 7% की गिरावट आई, जो 5.3 मिलियन टन तक पहुंच गया. यूरोप को भेजी जाने वाली आपूर्ति में भारी गिरावट इसकी मुख्य वजह रही.

निर्यात का मूल्य और आयात में वृद्धि

भारत ने इस अवधि में $31.2 बिलियन मूल्य के पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात किया, जो पिछले साल के $31.6 बिलियन से 1.3% कम है. वहीं, पेट्रोलियम उत्पादों के आयात में 6.3% की वृद्धि हुई है, जो 33.9 मिलियन टन तक पहुंच गया, जबकि आयात बिल 6.6% बढ़कर $16.1 बिलियन हो गया है.

यूरोप में भारतीय उत्पादों की मांग बढ़ी

यूरोप, खासकर ब्रिटेन और यूरोपीय संघ (EU), भारतीय तेल उत्पादों के सबसे बड़े आयातक बनकर उभरे हैं. रूस से डीजल पर प्रतिबंध और वैश्विक ऊर्जा संकट ने यूरोप को भारतीय उत्पादों की ओर आकर्षित किया. भारत ने यूरोप और भूमध्यसागरीय क्षेत्रों को डीजल और अन्य ईंधन की आपूर्ति में उल्लेखनीय वृद्धि की है, जिससे भारतीय निर्यातकों को इस क्षेत्र में बाजार हिस्सेदारी में लाभ हुआ है.

भारत और रूस के बीच बढ़ी ऊर्जा साझेदारी

भारत ने रूस से कच्चे तेल का आयात बढ़ाया है, जो 2023 में औसतन 1.7 मिलियन बैरल प्रति दिन (b/d) रहा. यह वृद्धि भारत के पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात में भी योगदान कर रही है, क्योंकि रूस से आने वाले कच्चे तेल से भारतीय रिफाइनरियां तेल उत्पादों का निर्माण करती हैं, जिन्हें यूरोप और एशिया में निर्यात किया जाता है.

भविष्य में निर्यात को खतरे की आशंका

विश्लेषकों का मानना है कि 2025 के बाद वैश्विक तेल आपूर्ति में अतिरिक्तता का संकट उत्पन्न हो सकता है, जिससे भारत के निर्यात में कमी आ सकती है. इसके साथ ही, बढ़ती भू-राजनीतिक अस्थिरता और प्रमुख उपभोक्ताओं से कमजोर मांग की आशंका निर्यात के लिए खतरे का कारण बन सकती है.

पेट्रोलियम उत्पादों की आंतरिक खपत बढ़ी

वहीं, देश में पेट्रोलियम उत्पादों की आंतरिक खपत भी बढ़ी है. अप्रैल से नवंबर 2024 तक घरेलू खपत 152.4 मिलियन टन से बढ़कर 157.5 मिलियन टन हो गई है, जो दर्शाता है कि भारत के भीतर पेट्रोलियम उत्पादों की मांग में वृद्धि हुई है.

  • भारत एक्सप्रेस


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