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यूट्यूब स्टार मार्क रॉबर्ट ने भारत के लिए क्रंचलैब्स का खाका पेश किया, कहा ‘मेक इन इंडिया’ ही एकमात्र रास्ता है’

Mark Rober भारत में लाएंगे क्रंचलैब्स, ‘मेक इन इंडिया’ के तहत बिल्ड-किट बनाएंगे. असफलता से सीखने की शिक्षा पर जोर, भारत को बताया आदर्श. 27 जून 2025 को स्क्विड गेम्स 3 रिलीज.

youtube star mark roberger

Mark Rober: मशहूर यूट्यूबर और पूर्व नासा इंजीनियर मार्क रोबर अपनी साइंस और इंजीनियरिंग शिक्षा परियोजना ‘क्रंचलैब्स’ को भारत में लाने की योजना बना रहे हैं. उनका मानना है कि भारत उनकी इस महत्वाकांक्षी ‘असफलता से सीखने’ की परियोजना के अगले चरण के लिए सबसे उपयुक्त देश है.

मार्क रोबर ने बताया कि क्रंचलैब्स को भारत में लाने के लिए स्थानीय स्तर पर निर्माण जरूरी है ताकि यह आर्थिक रूप से व्यवहार्य हो. उन्होंने कहा, “हम इसे भारतीय बाजार के लिए किफायती बनाने पर काम कर रहे हैं. अब हम इसे यहीं बनाएंगे, यही एकमात्र तरीका है. यह प्रधानमंत्री का ‘मेक इन इंडिया’ का नारा है. भारत एक शानदार बाजार है, और यहां लोगों से बात करने के बाद मुझे लगता है कि इससे बेहतर देश इस प्रोजेक्ट के लिए नहीं हो सकता.”

क्रंचलैब्स क्या है?

क्रंचलैब्स एक साइंस शिक्षा ब्रांड है जो बच्चों में जिज्ञासा और समस्या-समाधान की क्षमता जगाने के लिए मासिक बिल्ड-बॉक्स किट और आकर्षक यूट्यूब वीडियो बनाता है. प्रत्येक प्रोजेक्ट को विचार से वास्तविकता तक लाने में करीब एक साल लगता है. रोबर ने बताया, “हम अभी 12 वीडियो पर काम कर रहे हैं और हर महीने एक वीडियो रिलीज करते हैं. कई प्रोजेक्ट्स में काफी समय लगता है.”

आइडिया कैसे आते हैं?

रोबर ने बताया कि उनके वीडियो और प्रोजेक्ट्स के लिए आइडिया उत्पन्न करने की प्रक्रिया सहज और निरंतर चलती रहती है. उन्होंने कहा, “मैं शायद ही कभी औपचारिक ब्रेनस्टॉर्मिंग करता हूं. मेरा दिमाग हमेशा सक्रिय रहता है. साइंस में पहला कदम अवलोकन है. मैं कोई लेख पढ़ता हूं, कुछ देखता हूं, या दोस्तों से बात करता हूं, और बस सोचता हूं, ‘यह तो शानदार वीडियो बन सकता है.'”

उनका वायरल गिलहरी बाधा कोर्स वीडियो इसका उदाहरण है, जिसे कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान चार महीने की शूटिंग के बाद बनाया गया. रोबर ने कहा, “यह थोड़ा ‘जुगाड़’ जैसा था, मेरे पिछवाड़े में बनाया गया. यह साधारण था, और यही लोगों को ज्यादा पसंद आता है.”

असफलता को सामान्य बनाना

रोबर की साइंस कहानियों का मुख्य विषय है असफलता को सामान्य बनाना, जो वे भारत के बच्चों में भी प्रेरित करना चाहते हैं. उन्होंने कहा, “हमने अंतरिक्ष से अंडा गिराने का प्रयोग किया, जो बहुत मुश्किल था. मैं अपने वीडियो में दिखाता हूं कि असफलता प्रक्रिया का हिस्सा है. यह पहली बार में शायद ही कभी कामयाब होती है.”

उन्होंने वीडियो गेम्स से तुलना करते हुए कहा, “अगर आप पहली बार गेम खेलते हैं और गड्ढे में गिर जाते हैं, तो आप शर्मिंदा नहीं होते. आप सोचते हैं, ‘अच्छा, अब मुझे गड्ढा याद है, अब कूदूंगा.’ अगर आप जीवन की चुनौतियों को गेम की तरह लें, तो यह ज्यादा मजेदार और शिक्षाप्रद होता है.”

भारत: मस्ती और सीखने का नया केंद्र?

बढ़ती मध्यम वर्ग की आबादी, STEM शिक्षा की बढ़ती मांग और मजबूत डिजिटल कनेक्टिविटी के साथ भारत एडटेक इनोवेशन के लिए उर्वर भूमि बन रहा है. रोबर के लिए, भारत का विशाल बाजार और युवाओं की जिज्ञासा क्रंचलैब्स जैसे फिजिकल-डिजिटल हाइब्रिड शिक्षा मॉडल के लिए इसे आदर्श बनाती है.

चाहे गिलहरियों के लिए बाधा कोर्स बनाना हो या अंतरिक्ष से अंडे गिराना, रोबर का मिशन स्पष्ट है – सीखने को व्यावहारिक, लचीला और सबसे बढ़कर मजेदार बनाना.

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-भारत एक्सप्रेस



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