

सरकारी कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) अब वैश्विक बंदरगाहों पर अपनी पकड़ मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठा रही है. जानकारी के मुताबिक, यह कंपनी एशिया, अफ्रीका और भारत में फैले करीब 20 व्यावसायिक पोर्ट्स का अधिग्रहण और संचालन करने के लिए एक कंसोर्टियम का नेतृत्व कर रही है.
बता दें कि IPGL पहले से ही ईरान के रणनीतिक रूप से अहम चाबहार पोर्ट का संचालन कर रही है. अब उसकी नजर बांग्लादेश, श्रीलंका, अफ्रीका, पश्चिम और पूर्वी एशिया सहित भारत के कुछ बंदरगाहों पर है.
सरकारी मंत्रालय को भेजा गया प्रस्ताव
IPGL और अन्य सरकारी कंपनियों के समूह ने इस योजना का प्रस्ताव केंद्रीय पोत परिवहन मंत्रालय को भेजा है. मंत्रालय ने इसे सेंटर फॉर मैरिटाइम इकॉनमी एंड कनेक्टिविटी (CMEC) के पास विचार के लिए भेज दिया है.
IPGL के मैनेजिंग डायरेक्टर सुनील मुकुंदन ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया, “हमने देश और विदेश में 20 बंदरगाहों के संचालन का प्रस्ताव मंत्रालय को भेजा है. जैसे ही हमें मंत्रालय से निर्देश मिलेंगे, हम आगे की कार्यवाही करेंगे.”
भारत की रणनीतिक कनेक्टिविटी की योजना
फिलहाल IPGL ईरान के चाबहार बंदरगाह के शाहिद बेहश्ती टर्मिनल का संचालन करती है, जो अफगानिस्तान और मध्य एशिया से व्यापार के लिए भारत का अहम द्वार है. यह पोर्ट भारत की अंतरराष्ट्रीय व्यापार रणनीति, खासकर इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) का अहम हिस्सा है.
सूत्रों के अनुसार, भारत IPGL की अगुवाई में बांग्लादेश के खुलना स्थित मोंगला पोर्ट और श्रीलंका के कंकेसनतुरई बंदरगाह पर विकास कार्य शुरू कर सकता है. ये दोनों स्थान चीन की निगाहों में भी हैं, इसलिए भारत यहां अपनी रणनीतिक मौजूदगी दर्ज कराने के लिए तत्पर है.
अफ्रीका से मिल रहे प्रस्ताव
कुछ अफ्रीकी देशों ने भारत को अपने पोर्ट्स और टर्मिनल्स के संचालन का प्रस्ताव दिया है, जिन्हें IPGL निकट भविष्य में परख सकती है. इसके साथ ही, भारत ईस्टर्न मैरिटाइम कॉरिडोर के तहत व्लादिवोस्तोक (रूस) तक की सीधी समुद्री संपर्क योजना को भी आकार दे रहा है.
EY इंडिया के पार्टनर कुलजीत सिंह का कहना है कि “भारतीय निजी कंपनियां पहले ही अंतरराष्ट्रीय पोर्ट्स में सक्रिय हैं. IPGL की यह पहल भारत को वैश्विक समुद्री व्यापार में और मजबूत बनाएगी और इसे भू-राजनीतिक जोखिमों से भी दूर रखेगी.”
अब तक के अधिग्रहण
IPGL पहले ही ईरान, म्यांमार और श्रीलंका में पोर्ट्स का अधिग्रहण कर चुकी है. जास्पर शिपिंग के CEO पुष्पांक कौशिक के अनुसार, “अब IPGL अपनी रणनीतिक पहुंच बढ़ाने और व्यापारिक संपर्क मजबूत करने के लिए नए बंदरगाह अधिग्रहण की दिशा में बढ़ रही है.”
G20 सम्मेलन में पेश की गई इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (IMEC) योजना के तहत भारत मिडिल ईस्ट के जरिये यूरोप से जुड़ना चाहता है. यह कॉरिडोर व्यापार की गति को तेज करने और लागत को कम करने में मददगार होगा.
INSTC एक 7,200 किलोमीटर लंबा बहु-मोडल ट्रांसपोर्ट रूट है, जो भारत, ईरान और रूस को जोड़ता है. यह ट्रांजिट समय और खर्च घटाकर यूरोप और एशिया के बीच व्यापार को सरल बनाता है.
घरेलू बंदरगाहों पर भी फोकस
अंतरराष्ट्रीय योजनाओं के साथ-साथ भारत घरेलू बंदरगाहों पर भी ध्यान दे रहा है. महाराष्ट्र में वधावन मेगा पोर्ट को ₹76,220 करोड़ की मंजूरी मिल चुकी है, जिससे 12 लाख रोजगार सृजित होने की उम्मीद है. वहीं अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के गैलेथिया बे में ₹44,000 करोड़ की लागत से एक और मेगा पोर्ट सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत बनाया जाएगा.
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-भारत एक्सप्रेस
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