भारत दुनिया में डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (DPI) के माध्यम से डिजिटल वर्ल्ड में पहुँच को लोकतांत्रिक बनाने की दिशा में अग्रसर है. Aadhar, UPI और अब Open Network for Digital Commerce (ONDC) जैसी पहलों के जरिए यह संभव हो पा रहा है. ONDC के नॉन-एक्जीक्यूटिव चेयरपर्सन राम सेवक शर्मा ने कहा कि यह पहल रंग लाई है, और वर्तमान में इसके जरिए रोजाना लगभग 5 लाख ट्रांजैक्शन हो रहे हैं.
ONDC: एक नया डिजिटल वाणिज्य परिप्रेक्ष्य
राम सेवक शर्मा ने ONDC को एक परिवर्तनकारी प्रयास बताया, जो डिजिटल वाणिज्य का एक नया paradigma प्रस्तुत कर रहा है. उन्होंने कहा, “हम रोज़ लगभग 5 लाख ट्रांजैक्शन और मासिक रूप से 15 मिलियन ट्रांजैक्शन कर रहे हैं. ONDC वास्तव में एक बदलावकारी पहल है क्योंकि हमने इसे प्रोटोकॉल-आधारित बना दिया है और इसके माध्यम से खरीदारों और विक्रेताओं को एक ही मंच पर लाकर इसे अनबंडल किया है.”
सभी के लिए समान अवसर
राम सेवक शर्मा के अनुसार, ONDC ने न केवल विक्रय और लॉजिस्टिक्स को अलग किया है, बल्कि यह पूरे देश में समान अवसर प्रदान करने की दिशा में भी काम कर रहा है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “अभी कई लोग इसे नहीं समझ पाते हैं, ठीक वैसे ही जैसे लोगों ने शुरुआत में Aadhaar और UPI को समझा नहीं था.” इसके द्वारा हर तरह की वस्तु और सेवा का लेन-देन हो सकता है, जिससे यह एक व्यापक और सुलभ प्लेटफॉर्म बन गया है.
डिजिटल वर्ल्ड में एकाधिकार की समस्या
ONDC के चेयरपर्सन ने डिजिटल वर्ल्ड के एकाधिकार पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, “डिजिटल वर्ल्ड में केवल एक Google, एक WhatsApp, और एक Facebook है, और सिर्फ कुछ मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम्स हैं. हम ऐसे सिस्टम्स नहीं चाहते हैं जो कुछ व्यक्तियों या संस्थाओं को अत्यधिक शक्ति प्रदान करें. भारत के लिए समाधान सस्ता और लोकतांत्रिक होना चाहिए, जहां हर किसी के लिए प्रवेश के अवसर कम से कम हों.”
देश में डिजिटल वाणिज्य के रास्ते खुले
उन्होंने अंत में कहा कि आजकल डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (DPI) एक सामान्य शब्द बन चुका है, और भारत इस दिशा में दुनिया का नेतृत्व कर रहा है. इस पहल ने न केवल देश में डिजिटल वाणिज्य के रास्ते खोले हैं, बल्कि लोगों को लोकतांत्रिक रूप से डिजिटल सेवाओं का उपयोग करने का मौका भी दिया है.
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