प्रतीकात्मक तस्वीर
SEBI Strict on Foreign Investment : विदेशी निवेश को लेकर मार्केट रेगुलेट सेबी ( SEBI ) ने सख्ती करने का फैसला किया है. सेबी ने कंसल्टेशन पेपर जारी करते हुए ऐसे निवेशकों के लिए नए नियम जारी किये हैं. सेबी इंडिया (SEBI India) ने विदेश से आने वाले पैसों पर भी कंट्रोल बढ़ाने की बात कही. इस कंसल्टेशन पेपर ( Sebi Consultation paper ) के मुताबिक अब अब विदेशी निवेशकों को भी लोकल फंड्स की तरह अलग-अलग कैटेगरी में डिवाइड किया जाएगा. निवेशकों को घरेलू निवेशकों की तरह हाई, मीडियम और लो रिस्क कैटेगरी में बांटा जाएगा. साथ ही 25 हजार करोड़ से ज्यादा निवेश वाले विदेशी निवेशकों को ज्यादा डिस्क्लोजर देने होंगे. इस नियम का सीधा सा मतलब है कि जितना ज्यादा निवेश, सेबी के पास उतनी ज्यादा जानकारी देनी जरूरी है.
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50 फीसदी से ज्यादा निवेश पर देना होगा डिस्क्लोजर –
इसके अलावा एक ग्रुप में AUM का 50 फीसदी से ज्यादा निवेश होने पर अतिरिक्त डिस्क्लोजर देना जरूरी है. दरअसल कई बार इस तरह के निवेश के माध्यम से कंपनियां पब्लिक शेयर होल्डिंग के नियमों को पूरा करने की कोशिश करती हैं. इस नियम की वजह से कई बार ऐसे शेयर्स भी फ्री फ्लोट में दिखते हैं जो वास्तव में फ्री फ्लोट (Free Float ) नहीं होते हैं. यानि कंपनियां इन्हें अपन हिसाब से कंट्रोल करती हैं. जिससे कि स्टॉक मैनुपुलेशन ( Stock manipulation ) की आशंका बढ़ जाती है.
कंसल्टेशन पेपर के मुताबिक अगर कोई FPI 50 फीसदी से ज्यादा होल्डिंग्स रखना चाहता है तो डिस्क्लोजर के बाद सेबी उन्हें 6 महीने के अंदर मंजूरी देगा. यहां ध्यान रखने वाली बात ये है कि अगर वर्तमान निवेशक अपनी होल्डिंग्स को घटाना चाहते हैं तो उन्हें किसी प्रकार के डिस्क्लोजर को देने की जरूरत नहीं होगी.
कंसल्टेशन पेपर में विदेशी निवेशकों के लिए एक्स्ट्रा ट्रांसपैरेंसी बढ़ाने की मांग है. ये कंसल्टेशन पेपर लाने का उद्देश्य रिस्क को लिमिटेड कर नियमों के उल्लंघन में कमी लाई जा सके.