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शेयर बाजार में भारी गिरावट: सेंसेक्स 1500 अंक लुढ़ककर 75,900 पर पहुंचा, निफ्टी 350 अंक फिसला, आईटी और रियल्टी सेक्टर को सबसे ज्यादा नुकसान

शेयर बाजार में भारी गिरावट! सेंसेक्स 1500 अंक टूटा, निफ्टी 350 अंक लुढ़का. आईटी और रियल्टी सेक्टर में सबसे ज्यादा गिरावट. विदेशी निवेशकों की बिकवाली और अमेरिकी टैरिफ विवाद ने बाजार पर दबाव बढ़ाया.

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भारतीय शेयर बाजार में गिरावट.

वित्त वर्ष 2025-26 के पहले कारोबारी दिन, 1 अप्रैल को भारतीय शेयर बाजार में जबरदस्त गिरावट देखी गई. सेंसेक्स 1500 अंकों से ज्यादा टूटकर 75,900 के स्तर पर कारोबार कर रहा है. यह इस साल की अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है. इससे पहले 28 फरवरी को सेंसेक्स 1414 अंक गिरा था.

निफ्टी में भी गिरावट दर्ज की गई. यह करीब 350 अंक कमजोर होकर 23,200 के स्तर पर कारोबार कर रहा है. सेंसेक्स के 30 में से 29 शेयरों में गिरावट आई है, जबकि निफ्टी के 50 में से 40 शेयर नुकसान में हैं.

आईटी और रियल्टी सेक्टर को सबसे ज्यादा नुकसान

इस गिरावट में आईटी और रियल्टी सेक्टर को सबसे अधिक नुकसान हुआ. रियल्टी इंडेक्स में 3% तक की गिरावट रही, जबकि आईटी सेक्टर 2.39% लुढ़क गया. फार्मा सेक्टर में भी 1.91% की गिरावट दर्ज की गई. HDFC बैंक, सनफार्मा, इंफोसिस, HCL टेक और बजाज फिनसर्व के शेयर 3% तक गिर गए. इससे निवेशकों को बड़ा झटका लगा.

अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी मिलाजुला रुझान देखने को मिला. जापान के निक्केई इंडेक्स में 0.58% की बढ़त रही, जबकि हॉन्गकॉन्ग का हैंगसेंग इंडेक्स 0.96% ऊपर चढ़ा. चीन के शंघाई कंपोजिट में 0.43% की तेजी दर्ज की गई.

अमेरिकी बाजारों की बात करें तो 28 मार्च को डाओ जोंस 1% बढ़कर 42,001 पर बंद हुआ. S&P 500 इंडेक्स 0.55% ऊपर गया, जबकि नैस्डैक 0.14% गिरकर बंद हुआ.

विदेशी निवेशकों की बिकवाली से बाजार पर दबाव

विदेशी निवेशकों (FIIs) ने 28 मार्च को 4,352.82 करोड़ रुपए के शेयरों की बिकवाली की. हालांकि, घरेलू निवेशकों (DIIs) ने इस दौरान 7,646.49 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे.

मार्च महीने में विदेशी निवेशकों ने 2,014.18 करोड़ रुपए के नेट शेयर खरीदे, जबकि घरेलू निवेशकों ने 37,585.68 करोड़ रुपए की खरीदारी की.

गिरावट के तीन मुख्य कारण

1. अमेरिका का टैरिफ विवाद: अमेरिका भारतीय उत्पादों पर 100% टैरिफ लगाने की तैयारी में है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पिछले महीने इसका ऐलान किया था. उन्होंने कहा कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर ज्यादा टैरिफ लगाता है, इसलिए अब अमेरिका भी भारतीय प्रोडक्ट्स पर भारी टैरिफ लगाएगा. इस वजह से बाजार में डर का माहौल है.

2. विदेशी निवेशकों की बिकवाली: विदेशी निवेशक लगातार भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकाल रहे हैं. इससे बाजार पर दबाव बढ़ा है. अगर यह सिलसिला जारी रहा, तो आगे और गिरावट आ सकती है.

3. वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता: अमेरिकी GDP 2025 की पहली तिमाही में 2.8% तक गिरने का अनुमान है. इससे वैश्विक बाजारों में अस्थिरता बढ़ी है और निवेशकों का भरोसा कमजोर हुआ है. इसका असर भारतीय बाजार पर भी देखने को मिल रहा है.

पिछले हफ्ते भी बाजार में कमजोरी रही

बीते शुक्रवार, 28 मार्च को भी भारतीय शेयर बाजार में गिरावट देखी गई थी. सेंसेक्स 198 अंक गिरकर 77,414 पर बंद हुआ था. निफ्टी में भी 72 अंकों की गिरावट दर्ज की गई थी और यह 23,519 के स्तर पर बंद हुआ था.

इंडसइंड बैंक के शेयरों में सबसे ज्यादा 3.5% की गिरावट रही. हालांकि, कोटक महिंद्रा बैंक, HUL और ICICI बैंक के शेयरों में 1% तक की बढ़त देखी गई थी.

किन सेक्टरों पर पड़ा सबसे ज्यादा असर?

शेयर बाजार में गिरावट का असर अलग-अलग सेक्टरों पर भी देखा गया. ऑटो, आईटी, मीडिया और रियल्टी सेक्टर में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ, जहां शेयरों में 2% तक की गिरावट दर्ज की गई. दूसरी ओर, FMCG और प्राइवेट बैंक सेक्टर में मामूली तेजी देखने को मिली, जिससे इन क्षेत्रों के निवेशकों को कुछ राहत मिली.

बाजार में उतार-चढ़ाव जारी है. निवेशकों को सतर्कता से निवेश करने की सलाह दी जा रही है. बाजार की मौजूदा स्थिति को देखते हुए लंबी अवधि के निवेशकों को सोच-समझकर फैसले लेने होंगे.


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-भारत एक्सप्रेस



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